भारत को संदेह है कि चीन हांगकांग और सिंगापुर जैसे किसी तीसरे पक्ष के माध्यम यानी पिछले दरवाजे से भारत में व्यापार की कोशिश कर सकता है। चीन सामान भेजने के साथ-साथ निवेश के भी फिराक में है। इस मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने इस बात की संभावना व्यक्त की है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि जिन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), तरजीही व्यापार समझौते (पीटीए) या अन्य द्विपक्षीय कमर्शियल एग्रीमेंट है, उन देशों के जरिए चीन भारत में सामान और निवेश बढ़ा सकता है।

गौरतलब है कि भारत और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ गया है। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे।

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि चीन से कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटा है, लेकिन कई भारतीय फर्मों ने चीनी निवेश प्राप्त किया है। इसी तरह, चीन से आयात में हाल ही में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन उसी समय हांगकांग और सिंगापुर से आयात में वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है और उसकी जांच की जरूरत है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अनुसार, जबकि चीन के साथ भारत का व्यापार 2019 में 6.05 बिलियन डॉलर घटा है। यह अब 51.25 बिलियन डॉलर तक सीमित हो गया है। वहीं, 2019 में हांगकांग का व्यापार 5.8 बिलियन डॉलर के करीब बढ़ा है। इसी प्रकार, सिंगापुर के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले वित्तीय वर्ष में 5.82 बिलियन डॉलर था।

FIEO के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय सहाय ने कहा, “हांगकांग से प्रमुख आयात में जो उल्लेखनीय वृद्धि हुई है उनमें इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट शामिल है। 2017 में जहां 1.3 बिलियन डॉलर था वहीं, 2019 में 8.6 बिलियन डॉलर  तक बढ़ा है।

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