वाराणसी। एक तरफ पूरे देश में यह शोर है कि कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन में मां गंगा सहित सभी नदियां स्वच्छ हो गई हैं। सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि अन्य पारंपरिक मीडिया में भी यह बताया जा रहा है कि गंगा भी स्वच्छ हो गईं। लेकिन इसकी हकीकत जाननी हो तो उसके लिए तह में जाना होगा। बात अगर काशी की हो तो यहां तो मां गंगा में सीवेज गिरने का काम बदस्तूर जारी है। और तो और इसे जल निगम भी स्वीकार करता है जिस पर मां गंगा को स्वच्छ रखने का जिम्मा है।

यहां गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले संकटमोचन फाउंडेशन के चेयरपर्सन प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र ने आंकड़ों के साथ यह बताया था कि गंगा में सीवेज का गिरना जारी है जिसके चलते कोलीफार्म की मात्रा लगातार बढ़ रही है। ऐसे में यह कहना फिजूल है कि गंगा स्वच्छ हो गईं।उसके बाद 27 अप्रैल को आईएमएस बीएचयू के जानेमाने न्यूरोलॉजिस्ट व सर सुंदरलाल चिकित्सालय के पूर्व चिकित्साधीक्षक प्रो विजयनाथ मिश्र ने सोशल मीडिया पर गंगा में गिरते सीवेज का एक वीडियो अपलोड किया था । इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्राचीन शाही नाले के मार्फत सीवेज गंगा में सीधे गिर रहा है।

प्रो मिश्र के वीडियो को संज्ञान लेते हुए जलनिगम के महाप्रबंधक से जवाब तलब किया गया। इस पर महाप्रबधक ने जो जवाब मुख्य अभियंता, जल निगम को भेजा है, उसमें उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि गैर शोधित सीवेज सीधे गंगा में गिर रहा है। उन्होंने इतना ही नहीं कहा है, उनका कहना है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते है और जून 20121 तक ऐसे ही गैर शोधित सीवेज गंगा में बिना शोधन के गिरता रहेगा।महाप्रबंधक एसके राय जिन पर इस शाही नाले को साफ कराने का दायित्व है। उनका यह जवाब है। अब यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्राचीन शाही नाले की मरम्मत और सफाई का काम 2015 से चल रहा है, तकरीबन आधा दर्जन बार इस मरम्मत और सफाई कार्य की मियाद बढ़ाई जा चुकी है। लेकिन यह काम है कि पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा।

Vijaya nath Mishra
@DefeatKorona
Will @cleanganganmcg be able to tell me, that when would be, these millions litres of untreated sewage from, shahi nala draining in Ganga, will be tapped n treated! Till date, what was done by millions which have been spent

महाप्रबंधक राय ने प्रो मिश्र के वीडियो के हवाले से कहा है कि, “शाही नाला/राजघाट का आउटफाल है, जिसके माध्यम से बह रहे अतिरिक्त सीवेज को प्रत्यावर्तित कर दीनापुर स्थित 140 एमएलडी, एसटीपी पर शोधन करने की परियोजना अमृत कार्यक्रम के तहत स्वीकृत हो चुकी है। परियोजना के तहत प्रस्तावित कार्यों की निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कार्यदायी फर्म को 18 मार्च 2020 को कार्यादेश निर्गत किया गया है। इसके अनुसार मार्च 2021 तक कार्य पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत यह कार्य जून 2021 तक पूर्ण कराया जाना संभावित है। यह कार्य पूर्ण होने पर ही शाही नाला के आउटफाल से बह रहा सीवेज प्रत्यावर्तित हो सकेगा।” अब जलकल के महाप्रबंधक का यह जवाब ही यह दर्शाने को पर्याप्त है कि गंगा कितना स्वच्छ हुई हैं। इतना ही नहीं इसका तत्काल कोई उपाय नहीं है। इसके लिए फिलहाल जून 2021 तक इंतजार करना होगा। ( भदैनी मिरर)

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