जब मुरादाबाद के नवाबपुरा मोहल्ले की गली में डाक्टर की टीम पर पत्थर फेंके गए थे, तब सबने इसकी भर्त्सना की थी और मानवता सीखने की नसीहत दी गई थी। पुलिस ( police) ने कार्रवाई कर गिरफ्तार भी किया था। लेकिन अब उसी गली से तीन लोगों के कोरोना वायरस ( corona virus)से मरने की खबर आ रही है। ये दिखाता है कि जहालत क्या करा सकती है। मेडिकल टीम उन लोगों को कोरंटीन करने ही गई थी। उन लोगों को लगा कि मोहल्ले या दूसरे लोग जान जाएंगे तो क्या होगा? लेकिन अब मौत ने घेर लिया तो क्या सब जान नहीं गए।
डॉक्टरों पर पत्थर फेकने वाले मोहल्ले की गली के इन तीन सगे भाइयों की एक के बाद एक मौत हो गई है। इनमें से दो कोरोना वायरस से संक्रमित थे, जबकि तीसरे की कोविड-19 की जांच ही नहीं हुई। समझा जाता है कि वह भी संक्रमित रहा होगा। पखवाड़े भर पहले इस परिवार में सबसे बड़े मुखिया की घर पर ही मौत हो गई। वह सांस के रोगी थे, लेकिन उनकी कोरोना जांच नहीं हो सकी थी। उसके कुछ ही दिन बाद अचानक उनके भाई की तबियत बिगड़ गई। हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें फौरन टीएमयू अस्पताल ( tmu hospital) रेफर कर दिया गया। वेंटिलेटर स्पोर्ट से उन्हें स्वस्थ करने की कोशिश की जा रही थी। कोरोना की जांच कराई गई। दो दिन बाद आई जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। रिपोर्ट आने के बाद उसकी मौत भी हो गई। जिले में कोरोना से यह पहली मौत थी और परिवार में दूसरी बार कोहराम मच गया। अब परिवार की भी जांच को जरूरी समझा गया और उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया। इनमें बच्चे भी शामिल थे। कुछ दिन बाद ही तीसरे की भी तबियत बिगड़ने लगी थी। उन्हें भी टीएमयू में भर्ती कराया और 17 अप्रैल (april )की रिपोर्ट में वह भी संक्रमित पाए गए और कोरोना ने इस युवक की भी जान ले ली।
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को यकीन हो गया कि कोरोना संक्रमण इस परिवार को चपेट में ले चुका है। उसके बाद एक-एक कर परिवार की महिलाएं और बच्चे भी कोरोना पॉजिटिव मिलने लगे। चारों भाइयों का 12 लोगों का पूरा परिवार संक्रमित हो चुका था। थोड़ी सी लापरवाही ने परिवार पर 15 दिनों में दुखों का पहाड़ तोड़ दिया।