विशेष संवाददाता
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने घर और गृहस्थ होने का लौकिक सुख जब त्यागा होगा तब उन्हें उतना दुख नहीं हुआ होगा, क्योंकि वो निर्णय उन्होंने चिंतन-मनन करके लिया था। दुख को तोला था, सो मलाल नहीं था।
लेकिन आज जो हुआ, उसके होने को वह समझ चुके थे। तैयार भी शायद होंगे। लेकिन कोरोना का संकट ऐसा आया कि कर्तव्य पथ बदल गया। पिता का महाप्रयाण हुआ, लेकिन उनका अंतिम दर्शन नहीं कर सके। जरूरी वैठक में खबर मिली। सुना, दिल के बैठने की आवाज़ किसी को सुनने नहीं दी । आंखों के गीले कोर मौजूद अधिकारियों ने देखे। आशंका सच हो चुकी थी, क्योंकि पिता मृत्य से अंतिम लड़ाई हारने वाले थे। इंतज़ार था, यह कहने का कि अंतिम क्रिया के लिए रवाना होना है। लेकिन नही,।सीएम ने कहा, मेरा कर्तव्य आज्ञा नहीं देता कि कंटक काल में मुझसे उम्मीद लगाए लोगों को छोडूं। कह दिया, अंतिम क्रिया घर के लोग करें, सामाजिक दूरी को देखते हुए कम लोग ही जाएं।
माँ से कहा, कर्तव्य पथ का राही हूँ, चलना नियति है,अंतिम दर्शन की चाह दबानी होगी
माँ और परिवार को लिखी पाती में कहते हैं, “वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम और निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण मैं अंतिम दर्शन न कर सका। कल 21 अप्रैल को लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाऊंगा।”
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परिवार से अपील की, लॉकडाऊन के पालन में कम से कम अंतिम संस्कार में लोग शामिल हों। मैं लॉकडाउन समाप्त होने के बाद उनके दर्शनार्थ के लिए आऊंगा। उन्होंने कहा कि वह कल पौड़ी में पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जा रहे हैं। उनकी भी पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा थी पर कोरोना की लड़ाई की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रहे। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा।
एम्स दिल्ली में आज निधन होने के बाद सीएम के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पंचूर यमकेश्वर जनपद पौड़ी लाया जा रहा है। दिल्ली से उनके छोटे भाई महेंद्र सिंह बिष्ट व अन्य स्वजन साथ में हैं। उनका पार्थिव शरीर सड़क मार्ग के जरिये लाया जा रहा है। इसके साथ ही पंचूर (पौड़ी) के समीप थल नदी में दो हेलीपैड बनाए गए हैं।