चीन के Wuhan वुहान से निकला corona virus कोरोनावायरस महामारी बनकर दुनिया भर में अब तक लगभग 1 लाख 60 हजार से ज़्यादा लोगों की जान ले चुका है। दुनिया के तक़रीबन सभी देश इसकी चपेट में हैं और इससे मरने वालों की तादाद रोज़ाना बढ़ती ही जा रही है। इस महामारी की मार से कराह रहे लगभग सभी देश अब इस विडंबना से हैरत में हैं कि चीन के वुहान से निकला यह वायरस वुहान तक ही सीमित कैसे रह गया और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले इस देश के बीजिंग और शंघाई जैसे शहर इस आपदा से एकदम महफ़ूज़ कैसे रहे।

यही वजह है कि आज पूरी दुनिया चीन को मानवता के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा अपराधी मानते हुए उसे सख़्त से सख़्त सज़ा दिये जाने की हिमायत कर रही है। इसी क्रम में American President Donald Trump अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप सहित ब्रिटेन, फ़्रांस, इटली, जर्मनी आदि ज्यादातर NATO ( North Atlantic Treaty Organisation ) नाटो के सदस्य देश इतिहास और मानव सभ्यता की इस जघन्यतम आपराधिक त्रासदी के लिए चीन को न सिर्फ ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं बल्कि उसके ख़िलाफ़ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित किये जाने की कोशिशों में भी जुट गये हैं।

एक भारतीय ने इस दिशा में अनुकरणीय पहल भी कर दी है। Bombay High Court में प्रैक्टिस करने वाले वकील Ashish Sohani आशीष सोहानी ने social media सोशल मीडिया पर चीन विरोधी मैसेज फॉरवर्ड करने की बजाय एक कदम आगे जाते हुए Internatonal Criminal Court इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का रुख किया है। उन्होंने कोरोना वायरस फैलाने पर चीन के खिलाफ याचिका दायर करते हुए उसके ऊपर 2.5 ट्रिलियन डॉलर (190 लाख करोड़ रुपये) का दावा ठोका है। कोर्ट इसे सिर्फ सोहानी नहीं बल्कि दुनिया भर के मानवतावादियो की याचिका समझ कर सुनवाई करे।

पूर्व DCP डीसीपी के बेटे आशीष सोहानी (32) ने 11 अप्रैल को अपना e-petition ई-पीटिशन दायर किया था। 3 दिनों के बाद उन्हें कोर्ट की तरफ से जवाब भी मिला कि उनकी याचिका अभी विचाराधीन है।Netherland नीदरलैंड स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट एक International Tribunal इंटरनेशनल ट्राइब्यूनल है जिसे अंतरराष्ट्रीय अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार, युद्ध अपराध से जुड़े केस सुनने का न्याय अधिकार क्षेत्र है। 

ICC ने लिया केस का संज्ञान, आया जवाब 

सोहानी को कोर्ट की तरफ से आए जवाब में लिखा गया, ‘हम इस बारे में विचार करेंगे। जब निर्णय पर पहुंच जाएंगे, तब आपको फैसले के बारे में सूचित कर देंगे।’ इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इस तरह के संचार का मतलब इन्वेस्टिगेशन की गारंटी नहीं है। सोहानी ने Supreme Court सुप्रीम कोर्ट में भी चीन के खिलाफ केस फाइल किया है। सोहानी ने इसे मानवता के विरुद्ध अपराध करार दिया है। 

‘चीन ने किया मानवता के विरुद्ध अपराध’ 

, आशीष सोहानी का मानना है कि चीन ने मानवाधिकारों के तहत article 25 (1) का उल्लंघन किया है। सोहानी ने याचिका में चीन के साथ ही वहां के नेशनल हेल्थ कमिश्नर, हुबेई प्रांत की सरकार, वुहान म्युनिसिपल गवर्नमेंट का नाम भी शामिल किया है। उन्होंने कहा कि चीन ने WHO द्वारा स्थापित international health regulations इंटरनेशनल हेल्थ रेग्युलेशंस और universal declaration of Human rights यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन किया है। 

‘खतरे से वाकिफ था चीन, नहीं किया रोकने का प्रयास’ 

सोहानी की मां मुंबई family court फैमिली कोर्ट की रिटायर्ड हैं। उन्होंने बताया, ‘इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि चीन इस वायरस के खतरे से वाकिफ था। चीन ने शुरुआती स्तर पर ही वायरस को रोकने के लिए प्रयास नहीं किया।’ आशीष सोहानी ने भारत सरकार की तरफ से चीन के खिलाफ याचिका दायर करते हुए 2.5 ट्रिलियन डॉलर (190 लाख करोड़ रुपये) की मांग की है। 

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