डॉ रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, वाराणसी
उत्तर प्रदेश
सर्वप्रथम तो कोरोना की महामारी को COVID -19 के नाम से संबोधित करना ही गलत है क्योंकि यह COVID-19 न होकर Wuhan (वुहान) Chinese Virus है। यह सोची-समझी दूरगामी विश्वव्यापी चाइना विरोधी एवं प्रतिस्पर्धी राष्ट्रों के विरुद्ध एक आक्रोशजनित जैविक विश्व युद्ध हैBiological World War है जिसकी तुलना हम सतयुग, त्रेता, द्वापर में हुए हम देवों और राक्षसों के बीच संघर्ष कर सकते हैं।
चीन ये भली-भांति जानता है कि जहां तक सामरिक, आर्थिक आदि का संबंध है तो वो अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में अपने और अपने सहयोगियों की पूरी क्षमता के समर्थन के बाद भी शायद ही कामयाब हो सके। प्रश्न उठता है क्योंकि हमारा सोचना है कि जब वुहान और उसके समीपस्थ क्षेत्रों में कोरोना महामारी का महाप्रकोप था तो वुहान से 700-800 किलोमीटर की दूरी पर Shanghai और Beijing जैसे चीन के आर्थिक और राजनीतिक केंद्र इस महामारी से प्रभावित क्यों नहीं हुए? यही हाल Mongolia,North Korea और Ethiopia का भी है। आपकी जानकारी के लिए मैं यह बताना चाहूंगा कि Ethiopia चीन का मित्र राष्ट्र है और वहां भी उसी प्रकार की कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था है। इसे सहयोग कहिये या दुर्भाग्य। United Nation के WHO का president Ethiopia का ही एक कैबिनेट मिनिस्टर है। जिसने यह जानते हुए भी कि यह बीमारी एक आदमी से दूसरे आदमी तक संक्रमित होती है और अगर शुरू में ही उपाय कर लिए जाएं तो यह महामारी का रूप नहीं ले पाएगी। जनवरी से लेकर आज तक की WHO की बुलेटिन इस बात की साक्षी है कि कोरोना के खिलाफ संघर्ष में इसकी अध्यक्षता वाले WHO ने पूरी दुनिया को गुमराह किया और आज सोचने की बात यह है कि जितने भी अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र हैं और चीन जिन्हें अपना दुश्मन या प्रतिद्वंदी समझता है उन्हीं देशों में इस बीमारी ने महामारी का रूप धारण किया है और विशेष रूप से उनके आर्थिक और उत्पादक केंद्रों को प्रभावित किया। जैसे- अमेरिका में न्यूयॉर्क, इंग्लैंड में लंदन, हिंदुस्तान में मुंबई आदि -आदि।
महामारी चीन की कमाई का जरिया बन चुकी है
फिर यहां सबसे बड़ी गौर करने की बात है कि जनवरी से पहले ही बड़ी संख्या में फेस- मास्क ,वेंटिलेटर और कोरोना संभावित औषधियों का चाइना ने large scale पर import किया था। ताकि जब दवाई और टीके के अभाव में इस महामारी के आगे उसके प्रतिद्वंदी देश जब घुटनो के बल आ जाए तो वह सहायता के रूप में या मोटी रकम के रूप में यह वस्तुएं उन्हें सप्लाई कर या तो उनसे धन वसूल कर सके या उनको मानसिक रूप से अपने अधीन कर सके। यहां एक बात पर और गौर करना जरूरी है कि विश्व में जितनी भी दवाइयां है उनका 80% raw material चाइना में उत्पादित होता है और जितने भी मेडिकल उपकरण है उनमें भी चिप्स और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के रूप में सहायक कमोडिटीज़ का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार यह महामारी चीन के लिए मुनाफा कमाने का एक बहुत बड़ा जरिया बन जाती है और अमेरिका की तरह उसके इस व्यवहार से विश्व के लगभग अन्य सभी देश उसके आर्थिक शिकंजे में फंस जाते हैं।
यहां एक बात मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि चाइना का एक छत्र शासक Xi Jinping उस वक्त वुहान का दौरा कर रहा था जब यह महामारी अपने सबसे आक्रामक संक्रामक रूप में थी। इससे स्पष्ट है कि वह इस बीमारी के रोकने का टीका लगवाने के बाद ही यह दौरा कर रहा था और आज इस बीमारी से प्रभावित सभी देश त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं तो चाइना में lock down हटा दिया गया है और पूरे चाइना में सामान्य नागरिक जीवन और आर्थिक उत्पादन चल रहा है। यही नहीं South China C में सामरिक गतिविधियां भी बढ़ गई हैं ।अभी बहुत कुछ लिखना चाहता था, लिखूंगा, पर सबसे पहले विश्व के सभी प्रभावित देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों मानवाधिकार समितियों से अनुरोध औकरूंगा कि सामूहिक रूप से एक स्वर में चाइना को “Criminal Of World Biological War” घोषित करें और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उस पर अपराधिक मुकदमा चलाकर और इन देशों की जो अरबों और खरबों की हानि हुई है उसका क्लेम मांगे और जो मृतक हैं उनके लिए मुआवजा।
WHO के अध्यक्ष को तत्काल हटाया जाय
तत्काल प्रभाव से WHO के अध्यक्ष को हटाना चाहिए और जिस उद्देश्य से WHO का गठन हुआ था उसी उद्देश्य से उसका पुनर्गठन होना चाहिए। यहां यह भी कहना चाहूंगा कि चाइना की साज़िश है कि इन प्रभावित देशों के राष्ट्राध्यक्ष, नीति निर्देशक और सेनाओं को भी वह संक्रमित करें इस पर भी पूरा ध्यान देना होगा। यहां जो कुछ भी मैंने लिखा वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जानकारी के आधार पर था। अगर यह प्रमाणिक है तो इस पर कार्यवाही तत्काल प्रभाव से करें या इसे चेतावनी मानकर आवश्यक कदम उठाएं।
चीन कोरोना वायरस का टीका बना चुका है
चाइना की वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए लगता है कि इस महामारी को पूर्ण रूप से समाप्त करने की उसने दवा और टीका बना लिया है।वह इस इंतजार में है कि कब ऐसी स्थितियां आए कि वह मनमाने दामों पर इस टीके और औषधियों को बेचकर अटूट दौलत कमा सके
हम होंगे कामयाब एक दिन।
मेरा भारत महान था, महान है और महान ही रहेगा।
धनवंतरी और आयुर्वेद में आस्था व्यक्त करते हुए शत-शत नमन।