अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक
कोरोना मामले में जब से जमातियों की एंट्री हुई तब से हर दिन एक नया DrAma ड्रामा सामने आ रहा है । कभी ये जमाती स्वास्थ्यकर्मियों पर थूकते हैं तो कभी अश्लील हरकतें करते हैं। शिकायत करने पर सबूत मांगते हैं ।
अभी ताजा मामले दिल्ली के नरेला और यूपी के बागपत के है । नरेला में जहां जमाती जहां-तहां लैट्रीन कर के सफाई कर्मियों को परेशान कर रहे हैं तो वहीं बागपत में एक जमाती, जो कोरोना पॉजिटिव था, आधी रात को भाग गया । हालांकि काफी मशक्कत के बाद पुलिस और प्रशासन में उसे पकड़ लिया। मगर अब डर ये है कि इतनी देर में वो किन किन के संपर्क में आया उनकी जांच अब जरूरी है ।
इधर नोएडा सेक्टर 39 के जिला अस्पताल में जमात पेशेंट द्वारा सफाई कर्मियों पर चद्दर फेंकने का एक मामला सामने आया है ।
मतलब देखा जाए तो मरकज के जमातियों के केस में मामला वही ढाक के तीन पात पर अटका है । चाहे कहीं भी वे हों, फैला या तो गंदगी रहे है या फिर कोरोना । कोरोना पॉजिटिव जमातियों को लेकर नियमों के उल्लंघन मामले को लेकर लगातार एफआईआर दर्ज हो रही हैं। अकेले मुम्बई में क्वारंटाइन आदेशों के उल्लंघन (आईपीसी की धारा-271) और सरकारी आदेशों के उल्लंघन (आईपीसी की धारा-188) के तहत आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में 150 जमातियों के खिलाफ FIR एफआईआर दर्ज की गयी । इसके अलावा आईपीसी की धारा-269 के तहत भी कई केस दर्ज किये गए है।
सिर्फ मुम्बई ही नहीं उत्तर प्रदेश ,दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना , मध्य प्रदेश आदि हर राज्य में जमातियों को लेकर आये दिन मामले दर्ज हो रहे हैं । प्रशासन लगातार इनकी तालाश में है । मगर ये लुका छिपी का खेल खेल रहे है और इस खेल में कोरोना भारत में बड़ी ही तीव्र गति से अपने पांव पसार रहा है ।
हालांकि ज्यादातर जमातियों को ट्रेस कर लिया गया है । मगर कुछ अभी भी पकड़ से बाहर हैं । महाराष्ट्र में तो तकरीबन 50 जमातियों ने अपना मोबाइल फ़ोन ही बंद कर लिया है । जिसकी वजह से उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही है । हालांकि लोकेशन तो जमातियों के सरगना मौलाना साद की भी ट्रेस नहीं हो रही।
सवाल ये उठता है कि आखिर कहां है मौलाना साद ? वही मौलाना साद जो मरघट वाले मरकज़ का मुखिया है । जो केजरीवाल की पोलटिक्स का ट्रम्प कार्ड है ,जिसे खुश करने के लिए केजरीवाल की सरकार हर महीने 44000 रुपया वेतन भत्ते के रूप में देती है , और बदले में मौलाना , शाहीन बाग की भीड़, दंगों की politics पोलटिक्स में मुसलमानों का समर्थन , ढेर सारा वोट और मरकज़ वाली कोरोना भरी राजनीतिक स्टंट देता है ।
दरअसल दिल्ली की लगभग सारे दरगाह , मास्ज़िद ,मंदिर ,गुरुद्वारे , दिल्ली सरकार के अंडर में आते है । दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की मस्जिदों के जितने मौलाना रहे, चुनावी फायदे के लिए उनकी सैलरी में जबरदस्त इज़ाफ़ा करते हुए उनको खुश किया है। निज़ामुद्दीन मरकज़ भी दिल्ली सरकार के आधीन ही आता है और इसका फायदा मौलाना साद को भी मिला ।
केजरीवाल से मौलाना साद की नजदीकियां भी जग जाहिर है । जिसकी हनक मौलाना साद के व्यबहार में अक्सर ही देखने की मिलती रही । Lockdowen लॉकडाउन के समय मौलाना साद की जिद और प्रशासन की बातों की अनदेखी उन्ही नज़दीकियों की हनक का एक नतीजा था । जिसका भुगतान आज पूरा देश कर रहा है । मगर कोरोना की आड़ में केजरीवाल सरकार इन सारी चीजों को अनदेखा करते हुए मौलाना साद को बचा रही है । मौलाना छिपा है और दिल्ली की केजरीवाल सरकार चुप है ? क्यो चुप है यह करोड टके का सवाल है?
तबदीली जमात पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट मे लेटर पेटीशन
तबलीगी जमात के खिलाफ मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबड़े के समक्ष Letter petition लैटर पेटिशन दायर की गई।
लैटर पेटिशन में मांग कि गई कि सुप्रीम कोर्ट , दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय को आदेश दे कि तबलीगी जमात की सभी Activities एक्टिविटी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।
-MCD एक्ट के तहत तबलीगी जमात की निजामुद्दीन वाली बिल्डिंग को गिराया जाए
तब्लीगी जमात संक्रमण मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
अजय गौतम ने ये लैटर पेटिशन दाखिल की है और मांग की है इसे जनहित याचिका के तौर पर लेकर सुनवाई की जाए।