लक्ष्मी कान्त द्विवेदी
कोरोना वायरस Coron Virus के प्रकोप के कारण विश्व के अनेक हिस्सों में लॉकडाउन lockdown कर दिया गया है। इससे आम लोग न केवल घरों में कैद हो गये हैं, बल्कि, सार्वजनिक परिवहन और उद्योग धंधों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गया है। इससे प्रदूषण में भारी कमी आयी है। हवा साफ होने के कारण जालंधर से हिमालय की चोटियां नजर आने लगी हैं, तो गंगा का जल भी 35 प्रतिशत तक साफ हो गया है। इसके अलावा इस लॉकडाउन से धरती का कम्पन भी घट गया है, जिसकी पुष्टि कई भूगर्भ वैज्ञानिक कर रहे हैं।
गंगाजल में फिक्कल कोलीफार्म की मात्रा घटी, पीएच व ऑक्सीजन की बढ़ी
लॉकडाउन की वजह से हवा साफ हुई है। कुछ तस्वीरें जालंधर से आयी हैं, जहां से हिमालय पर्वत की धौलाधार रेंज (हिमाचल प्रदेश में) के बर्फीले पहाड़ दिखने लगे हैं। इस बीच वाराणसी में गंगा जल की गुणवत्ता में भी काफी सुधार हुआ है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, गंगा जल में फिक्कल कोलीफार्म की मात्रा प्रति 100 एमएल 15 हजार से घटकर 11 हजार हो गयी है, जबकि पीएच 3.5 से अधिक हो गया है। गंगा जल में घुले ऑक्सीजन की मात्रा भी तीन एमजी तक पहुंच गयी है, जो एक महीना पहले शून्य से भी नीचे चली गयी थी। बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) भी एक एमजी प्रति लीटर हो गयी है।
धरती का कम्पन 30 से 50 फीसदी घटा
बेल्जियम में रॉयल ऑब्जर्वेटरी के भूविज्ञानी थॉमस लेकोक ने ब्रसेल्स में कहा कि, कोरोना वायरस के रोकने के उपायों के कारण पृथ्वी के ऊपरी परत में कम्पन का स्तर काफी कम हुआ है। उन्होंने बताया कि ये कम्पन कार, बस, ट्रक, ट्रेन और फैक्ट्रियों के चलने से पैदा होते थे। थॉमस लेकोक ने बताया कि केवल ब्रसेल्स में ही मार्च में धरती के कंपन में 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गयी है। लेकोक ने कहा कि इसका कारण कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए आम लोगों की गतिविधियों पर विराम लगना और सामाजिक दूरी बनाना है।
छोटी से छोटी भूगर्भीय हलचल भी सुन पा रहे वैज्ञानिक
लेकोक ने कहा, कम शोर का मतलब है कि भूकंप विज्ञानी छोटी से छोटी भूगर्भीय हलचल का भी पता लगा सकते हैं। धरती की ये कंपन सामान्य समय में ऊपरी परत में मानव निर्मित कंपन के कारण रिकॉर्ड में नहीं आते थे। इसलिए भूकंप मापन केंद्र हमेशा शहरों से बाहर स्थापित किये जाते हैं, क्योंकि कम मानवीय शोर में उन कंपनों को सुनना आसान होता है। उन्होंने यह भी बताया कि भूकंप वैज्ञानिक (सीस्मोलॉजिस्ट) धरती के कंपनों का पता लगाने के लिए बोरहोल स्टेशन (जमीन के अंदर बने केंद्र) का उपयोग करते हैं। लेकिन, वर्तमान में शहर में छायी शांति के कारण इसे बाहर से भी उतनी ही अच्छी तरह सुना जा सकता है, जितनी अच्छी तरह ये नीचे सुनायी देती हैं।
Seismologie.be
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Our staff is teleworking. The earth continues shaking. Ground movements at frequencies 1-20 Hz, mainly due to human activity (cars, trains, industries,…) are much lower since the implementation of the containment measures by the government. #StayHome @ibzbe @CrisiscenterBE
लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे आम लोग
लेकोक ने कहा कि धरती के ऊपरी परत के कम्पन में आयी कमी यह दर्शाती है कि, पूरी दुनिया में लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं। इसके साथ ही सामाजिक दूरी को भी बनाकर रख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धरती के कम्पन में आयी कमी के डाटा से इस बात का निर्धारण किया जा सकता है कि, कहां के लोग लॉकडाउन के नियमों का ज्यादा पालन कर रहे हैं।