विशेष संवाददाता

ख़ुफ़िया जानकारियां जुटाने के लिए छोड़े दर्जन भर अंडरवाटर ड्रोन्स

इस समय कोरोनावायरस की महामारी से जूझ रही सारी दुनिया के लिए अब यह हक़ीक़त आईने की तरह साफ़ हो जानी चाहिए कि मौजूदा दौर में संपूर्ण मानव जाति और पूरे विश्व के लिए चीन सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है। अपनी विस्तारवादी महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए उसकी ख़तरनाक फ़ितरतें अब जग ज़ाहिर हो चुकी हैं।

पिछले तीन चार महीनों के दौरान जब चीन कोरोना महामारी के सबसे भयावह दौर से गुज़र रहा था, दुनिया के तमाम देशों ने सहानुभूति जताते हुए उसकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया था। भारत ने भी फ़ौरी मदद के तौर पर मास्क, वेंटिलेटर, दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की बड़ी खेप चीन भेजी थी।

अब दुनिया भर से मिली व्यापक हमदर्दी और भारी इमदाद के बावजूद चीन का रवैया कैसा है, यह सिर्फ़ देखने नहीं समझने की भी ज़रूरत है। जिस समय वह कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा था उस दौरान भी अन्य देशों को परेशान करने की उसकी फ़ितरत बदस्तूर जारी रही।

समुद्र में 3400 से ज़्यादा जगहों पर गड़ायी थी नज़र

‌इंटरनेशनल बिज़नेस मैगज़ीन फ़ोर्ब्स ने हाल ही में दावा किया कि चीन ने अपने रिसर्च शिप शियांगग्यांघोंघ 06 से दिसंबर 2019 के मध्य में तक़रीबन एक दर्जन अंडरवाटर ड्रोन्स हिंद महासागर में छोड़े थे। रिपोर्ट के मुताबिक़ अभी पिछले महीने ही उसने अपने यह ‘सी विंग’ ड्रोन्स वापस इकट्ठा कर लिये। बताया गया है कि इन ड्रोन्स ने हिंद महासागर में क़रीब 3400 से ज़्यादा जगहों पर निगरानी रखी।

भारत अब चीन की इस हरकत का संज्ञान लेकर तदनुरूप अपनी रणनीति तय कर रहा है। आम तौर पर इस तरह के अंडरवाटर सर्वे समुद्र में खदान ढूंढने और अन्य व्यापारिक गतिविधियों के लिए किये जाते हैं। लेकिन चीन की मंशा कुछ और है। वह इस क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करने की कोशिशों में जुटा है। ऐसे में माना जा रहा है कि उसका यह सर्वे सबमरीन और ऐंटी सबमरीन वारफेयर आपरेशन के लिए भी हो सकता है।

गौरतलब है कि चीन का प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय समुद्र और पारिस्थितिकी शोध परियोजनाओं के लिए इस तरह के सर्वे करता आ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ चीनी अंडरवाटर ड्रोन्स ज़ाहिर तौर पर समुद्र विज्ञान से जुड़े डेटा जुटाने में लगे थे और इस डेटा को लगातार अपने शिप पर भेज रहे थे। आम तौर पर यह डेटा नौसेना की ख़ुफ़िया जानकारी के लिए भेजा जाता है।

अपनी पनडुब्बियों के लिए सबसे बेहतर रूट तलाश रहा है ड्रैगन

भारतीय नौसेना सूत्रों का कहना है कि फ़ोर्ब्स की इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता का दावा तो नहीं किया जा सकता लेकिन नौसेना हिंद महासागर में लगातार चीनी शिप को ट्रैक करने में जुटी है। इसके लिए पी-8 आई लांग रेंज मैरीटाइम पैट्रोल एअरक्राफ्ट के साथ ही युद्धपोतों की भी मदद ली जा रही है। सूत्रों के अनुसार चार से पांच की संख्या में चीनी रीसर्च शिप किसी भी समय हिंद महासागर की निगरानी के लिए तैयार रहते हैं। वे लगातार समुद्र विज्ञान से संबंधित डेटा जुटाने में लगे रहते हैं जैसे कि यहां का तापमान, इसमें नमक की मात्रा आदि। दरअसल यह जानकारियां नेविगेशन ( समुद्री यात्रा ) और सबमरीन से संबंधित आपरेशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। इन जानकारियों से कोई देश अपनी पनडुब्बियों (सबमरीन) के लिए सबसे बेहतर रूट तलाश कर सकता है।

एक अन्य सूत्र के मुताबिक यदि कोई चीनी रीसर्च शिप भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र ( एक्सक्लूसिव इकोनामिक ज़ोन ) में आकर संदिग्ध सैन्य गतिविधियां करता पाया जाता है तो उसे चेतावनी के साथ सीमा से बाहर खदेड़ दिया जाता है। भारत का विशेष आर्थिक ज़ोन 200 नाटिकल मील में फैला है। दिसंबर 2019 में ही भारतीय नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने बताया था कि नौसेना ने सितंबर में चीन के शी यान-1 रीसर्च शिप को अंदमान निकोबार से पीछा कर सीमा से बाहर खदेड़ दिया था।

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