निर्भया के आरोपी दरिन्दों ने फांसी से चंद घंटो पहले तक वकीलों के माध्यम से हर कोशिश की कि फांसी टल जाए। गुरुवार देर रात तक कोर्टरूम में ड्रामा चला। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने साफ कहा कि दोषियों की याचिका का कोई कानूनी आधार नहीं है। अदालत ने पूरे मामले में किसी साजिश की आशंका भी जताई। यही हश्र बाद में सुप्रीम कोर्ट मे भी हुआ।

एपी सिंह को को जम कर फटकारा गया

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, “कोई एनेक्सर नहीं है, न एफिडेविट है, न पार्टीज का मेमो है। इस मामले में कुछ नहीं है। क्‍या आप (एपी सिंह) के पास ये याचिका दाखिल करने की इजाजत है?” जवाब में सिंह ने कहा, “कोरोना:वायरस के चलते कोई फोटो कॉपी मशीन काम नहीं कर रही थी।” इस पर अदालत ने कहा, “आपने आज तीन अदालतों में पैरवी की है। आप नहीं कह सकते हैं कि चीजें एक्‍सेसिबल नहीं हैं। हम यहां रात 10 बजे भी आपको सुन रहे हैं।” सिंह ने कहा कि एक याचिका NHRC के पास भी लंबित है। उन्‍होंने सवाल उठाया कि अगर ये याचिकाएं लंबित हैं तो फांसी कैसे दी जा सकती है?

हाई कोर्ट ने कहा- नहीं रिव्‍यू कर सकते SC का फैसला

जस्टिस मनमोहन ने कहा कि डेथ वारंट खत्‍म नहीं किया जा सकता। उन्‍होंने कहा कि मामला ‘अंतिम दौर’ में है। वकील एपी सिंह ने राष्‍ट्रपति, चुनाव आयोग, NHRC के सामने दायर याचिकाओं का जिक्र करते हुए कहा कि लंबित याचिकाओं के रहते कैसे फांसी दी जा सकती है। सिंह ने दोषी अक्षय की पत्‍नी द्वारा बिहार में दायर तलाक के केस का भी जिक्र किया। इसपर जस्टिस मनमोहन ने पूछा कि वो मुकदमा यहां पर रेलवेंट नहीं है। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रिव्‍यू नहीं कर सकती।

भगवान से मिलने वाले हैं आपके क्‍लाइंट, जल्‍दी कीजिए’

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने एपी सिंह से कहा, “हम उस समय के करीब हैं जब आपके क्‍लाइंट भगवान से मिलने वाले हैं । टाइम मत बर्बाद कीजिए। हम आखिरी वक्‍त में आपकी मदद नहीं कर पाएंगे अगर आप कोई महत्‍वपूर्ण प्‍वॉइंट नहीं उठा सकते। आपके पास केवल 4-5 घंटे हैं। अगर आपका कोई प्‍वॉइंट है तो बताइए।” जस्टिस मनमोहन ने एडवोकेट एपी सिंह से कहा, “आपको हमारे साथ फेयर होना पड़ेगा। आप इस वक्‍त आते हैं जब फांसी होने में 5-6 घंटे होते हैं और अपना प्‍वॉइंट्स भी नहीं समझा पा रहे हैं। दुर्भाग्‍य से आपकी याचिका का कोई कानूनी आधार नहीं है।”

एपी सिंह ने जोर देकर कहा क‍ि उनके क्‍लाइंट के परिवार के आर्थिक हालातों पर भी गौर किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा, “कोई सिस्‍टम से खेल रहा है। कोई साजिश है क्‍योंकि दया याचिका निकालने में ढाई साल की देरी हुई।” दिल्‍ली हाई कोर्ट ने कहा, “कानून उसी की मदद करता है, जो सही वक्त पर कदम उठाते हैं। पिछले ढ़ाई सालों से 4 मार्च 2020 तक आप क्या कर रहे थे? आप हमपर आरोप लगा रहे हैं? पौने ग्यारह बज चुके हैं, सुबह 5:30 पर फांसी है, हमें ठोस दलील दें।” रात् ग्यारह बजे याचिका खारिज कर दीषगरी।

सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी

हाई कोर्ट में असफल रहने के बाद एपी सिह सुप्रीम कोर्ट पहुँचे । जस्टिस भानुमति की बेंच में 45 मिनट तक दोषियों के वकीलों की दलील सुनी गई और फिर बेंच की ओर से तबके साढे तीन बजे फैसला सुनाते हुए कहा गया कि दोषी पवन गुप्ता की अर्जी में कोई दम नहीं था। कोर्ट ने कहा कि दया याचिका में राष्ट्रपति के फैसले की समीक्षा की भी कोई जरूरत नहीं है । कोर्ट ने कहा कि एक ही दलील बार-बार दोहराई जा रही है, जिसका कोई आधार नहीं है। चारों दरिन्दों ने फांसी पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन शीर्ष कोर्ट ने उनकी की अर्जी खारिज कर दी।

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