मुख्य सचिव, डीजीपी राडभवन तलब
विशेष संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी में हालांकि बसंत का मौसम है। लेकिन सियासत का पारा यानी तापमान फिलहाल काफी चढा हुआ नजर आ रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा मे शामिल होने के बाद से ही भगवा पार्टी में लगता है नये जोश का संचार हो गया है। बजट सत्र से पहले उसकी फ्लोर टेस्ट की मांग के बाद राज्यपाल लाल जी टंडन समाचार लिखे जाने के समय हालात का जायजा ले रहे हैं । उन्होने बेगलुरू में मौजूद कांग्रेस के 22 विधायकों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग और शहर मे कानून व्यवस्था के मद्देनजर पूरे प्रशासनिक अमले को राज भवन तलब कर लिया था। मुख्य सचिव, डीसीपी, डीआइजी और भोपाल के डीएम राज्यपाल के साथ बैठक मे भाग ले रहे थे।
कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है- शिवराज सिंह
कुछ समय पहले ही शाम को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और रामपाल सिंह ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। राजभवन से बाहर आने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा- हमने राज्यपाल को बताया कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है। उनके पास सरकार चलाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है, इसलिए 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण और बजट सत्र का कोई मतलब नहीं है। हमने राज्यपाल से अनुच्छेद 175 के तहत सरकार को विश्वासमत प्राप्त करने का निर्देश देने की मांग की।
बेंगलुरु गए विधायक दबाव में, वे इस्तीफा नहीं देंगे: कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को दावा किया कि बेंगलुरु ले जाए गए विधायक दबाव में हैं। भोपाल आने के बाद उनमें से कई विधायक इस्तीफा नहीं देंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रामनिवास रावत ने कहा, ”मैं कांग्रेसी था और कांग्रेसी रहूंगा। विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाया गया है। जब वे भोपाल पहुंचेंगे, तो इस्तीफा नहीं देंगे।” रावत ने कहा- हमने सिंधियाजी को नहीं छोड़ा है, सिंधियाजी हमें छोड़कर गए हैं। भाजपा ने भोपाल में उनके स्वागत में उन्हें विभीषण की उपाधि दे दी। अब ये सही संदर्भ में है या गलत, लेकिन हमारे देश में कोई माता-पिता अपने बच्चों का नाम विभीषण नहीं रखते।
सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों का इस्तीफा
बेंगलुरु के रिजॉर्ट में ठहराए गए कांग्रेस के 19 विधायक और बाद में 3 और विधायक अपना इस्तीफा स्पीकर को भेज चुके हैं। विधानसभा स्पीकर द्वारा नोटिस जारी करने के बाद उनमें से 6 विधायकों को शुक्रवार को भोपाल आना था, लेकिन दिनभर के इंतजार के बाद आखिरी मौके पर उनका आना कैंसिल हो गया। वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बेंगलुरु में विधायकों से मिलने पहुंचे। विधायक पहले से नड्डा के संपर्क में हैं। 12 मार्च को कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी भी विधायकों से मिलने बेंगलुरु पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष से 19 विधायकों के इस्तीफों की विस्तृत जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि इन विधायकों को स्पीकर के समक्ष बुलाया जाए और यह जांच-पड़ताल की जाए कि उन्होंने इस्तीफा किन हालात में दिया। अगर यह स्वेच्छा से नहीं दिया गया, तो इन्हें निरस्त किया जाए। सिंह ने यह भी कहा कि सभी विधायकों के इस्तीफे कूटरचित हैं।
रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी विधायकों को शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर में ठहराए गए सभी विधायक बैठक में हिस्सा लेने के लिए रविवार सुबह भोपाल पहुंचेंगे। इस बैठक में सरकार बचाने की रणनीति पर चर्चा होगी। शनिवार को पार्टी महासचिव हरीश रावत ने जयपुर के रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस विधायकों से चर्चा की।
स्पीकर ने विधायकों पर कार्रवाई के संकेत दिए
विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि वे नियम प्रकियाओं से बंधे हुए हैं। वे इस्तीफा देने वाले विधायकों से मुलाकात का इन्तजार कर रहे हैं। शनिवार को छुट्टी के बाद भी वे अधिकारियों के साथ विधानसभा में मौजूद थे और रविवार को भी संबंधित विधायकों का इन्तजार करेंगे। उन्होंने दो-तीन विधायकों पर एक्शन लिए जाने के संकेत भी दिए। इशारों-इशारों में उन्होंने कहा- कुछ विधायकों के मामले गंभीर हैं। इन्हें रखूं या निकालूं, इस पर अलग तरीके से निर्णय लूंगा। हालांकि, उन्होंने विधायकों के नाम नहीं बताए। माना जा रहा है कि प्रजापति भाजपा में शामिल हुए विधायक बिसाहूलाल सिंह की तरफ इशारा कर रहे थे।