पिछले सात माह से नजरबंद चल रहे जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने शुक्रवार को नजरबंदी खत्म करने का आदेश जारी किया। अनुच्छेद-370 हटने के बाद यानी पांच अगस्त को फारूक अब्दुल्ला को हाउस अरेस्ट किया गया था। इसके बाद 15 सितंबर से उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। करीब छह महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी खत्म की है। हालांकि, वह अभी भी हाउस अरेस्ट हैं।

दरअसल, फारूक अब्दुल्ला को पांच अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ पिछले साल 15 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट का केस दर्ज किया था। इसके बाद उन्हें तीन महीने के लिए नजरबंद कर दिया गया था। तीन महीने की मियाद 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी, उससे दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को उनकी नजरबंदी तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। अब उनकी नजरबंदी को खत्म करने का फैसला किया गया है।

फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, आईएएस अफसर से नेता बने शाह फैसल समेत कई नेताओं पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। इसके बाद सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। अभी उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, शाह फैसल समेत कई नेता हिरासत में हैं।

फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग कई दिनों से हो रही थी। इनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई थी। एक याचिका तो उमर अब्दुल्ला की बहन और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की पत्नी ने दायर कर रखी है। लोकसभा और राज्यसभा में भी यह मामला उठाया गया। इस पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जहां तक नेताओं को जेल से रिहा करने का विषय है, मैं यह कहना चाहता हूं हम किसी को एक दिन भी जेल में नहीं रखना चाहते हैं। जब जम्मू एवं कश्मीर का प्रशासन निर्णय करेगा उन्हें (नेताओं) को रिहा कर दिया जाएगा।

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