विशेष संवाददाता
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अंतर्कलह की वजह से कमलनाथ सरकार का गिरना तय हो जाने के बाद अब यही कहानी राजस्थान में भी दोहराये जाने के आसार बनने लगे हैं। मध्य प्रदेश में यदि मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सियासी तल्खी कांग्रेस शासन के पतन का कारण बन रही है तो राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच रिश्तों को मधुर नहीं कहा जा सकता। तल्खी यहां भी है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के सूत्रधार युवा नेतृत्व की उपेक्षा कर गहलोत को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर सचिन पायलट के समर्थकों ने ज़बरदस्त विरोध प्रकट किया था। दरअसल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली सफलता के पीछे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सचिन पायलट की ही थी। संगठन पर पकड़ और जन सामान्य से सीधा संवाद कायम करने की दिशा में पायलट की जी तोड़ मेहनत की वजह से ही कांग्रेस को सत्ता में वापसी का मौका मिला था। पायलट समर्थकों और राज्य की जनता को भी पूरी उम्मीद थी कि युवा नेतृत्व के रूप में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जायेगा, लेकिन पार्टी में युवा शक्ति को न उभरने देने की आलाकमान की चिर परिचित मंशा के कारण ऐसा नहीं हुआ और अस्सी बरस के गहलोत की ताजपोशी हो गयी।
बहरहाल सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री के साथ ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर वहां असंतोष और विरोध के स्वर पर काफ़ी हद तक काबू पा लिया गया था। लेकिन पायलट और गहलोत के सियासी ताल्लुकात में तल्खी तो घुल ही गयी थी।
राजस्थान के मौजूदा ताजानीतिक घटनाक्रम के बीच अब यही तल्खी राज्यसभा के दो संभावित प्रत्याशियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस में उत्पन्न रार के रूप में सतह पर आ गयी है। पार्टी को राज्य में कम से कम दो सीटों के लिए प्रत्याशी तय करने हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक़ एक संभावित नाम का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट खुलकर विरोध कर रहे हैं।
राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं। मौजूदा विधायक संख्या के आधार पर कांग्रेस के खाते में दो सीटें जानी तय हैं। पार्टी को अपने प्रत्याशियों के नाम अगले दो दिन में तय करने होंगे क्योंकि नामांकन 13 मार्च तक होंगे। इसके लिए सियासी जोड़-तोड़ शुरू हो गया है।
राजनीतिक गलियारों में तारिक अनवर से लेकर राजीव अरोड़ा और भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर गौरव वल्लभ तक अनेक नाम चर्चा में हैं जिनमें से दो पर आने वाले एक दो दिन में मुहर लगनी है।
यहां कुछ मीडिया रिपोर्टो व पार्टी जानकारों के अनुसार पार्टी तारिक अनवर को राजस्थान से राज्यसभा में भेज सकती है। तारिक अनवर पांच बार लोकसभा व दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। दूसरा बड़ा नाम राजीव अरोड़ा का सामने आया है। हालांकि बताया जाता है कि पायलट खेमा उनके नाम को लेकर बिलकुल सहज नहीं है। पार्टी सूत्रों के अनुसार पायलट ने दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर उन्हें अपनी नाराज़गी से अवगत कराया है।
गहलोत के करीबी समझे जाने वाले अरोड़ा लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं। वे प्रदेश में पार्टी के उपाध्यक्ष हैं और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं।
अब स्थानीय नेता संभावित प्रत्याशियों को लेकर खुलकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत ने ये नाम तय करने के लिए सप्ताहांत नयी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।
राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटे हैं जिनमें से फिलहाल नौ भाजपा व एक कांग्रेस के पास है। कांग्रेस ने पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यहां से राज्यसभा के लिए चुना था। भाजपा के तीन राज्यसभा सदस्य विजय गोयल, नारायण पंचारिया व रामनारायण डूडी का कार्यकाल नौ अप्रैल को पूरा हो रहा है। राज्य विधानसभा में बदले संख्याबल के हिसाब से दो सीटें कांग्रेस को मिलनी तय हैं। भाजपा ने भी अपने प्रत्याशी के नाम की अभी घोषणा नहीं की है।
राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 विधायक व भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है। राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 26 मार्च को मतदान होगा।