शिल्पियों के विभिन्न उत्पादों पर रहेगा फोकस

विकास यादव

वाराणसी। वैसे तो चिरकाल से बाबा विश्वनाथ की प्रिय नगरी होने के कारण काशी नगरी तीनों लोकों में अपना अलग ही प्रतिष्ठित स्थान रखे हुए है और देश-विदेश के श्रद्धालुओं के साथ सैलानियों की भी पहली पसंद है। इसके अलावा बनारसी साड़ियों के कारण काशी की पहचान पूरे विश्व में है। भोलेनाथ की नगरी काशी के  संगीत साधकों की लम्बी जमात भी रसिकों को आकर्षित करती रही है।

अब आज के आधुनिक युग की बात की जाय तो काशी का संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वाराणसी की ब्रांडिंग में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। कहने में कोई संकोच नहीं की ‘ब्रांड बनारस’ की परिकल्पना को मोदी साकार कर रहे हैं। तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को बनारस आएंगे तो ब्रांड बनारस को नयी ऊंचाई भी दे जाएंगे। दीनदयाल हस्तकला संकुल में हस्त शिल्प उत्पादकों से जुड़े दो दिनी आयोजन में  प्रधानमंत्री शिरकत करेंगे। पीएम अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया समेत दुनिया के विभिन्न देशों से आने वाले खरीदारों और कारीगरों से सीधा संवाद करेंगे।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल (टीएफसी) में आयोजित दो दिवसीय आयोजन ‘काशी एक रूप अनेक’ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को शुभारंभ करेंगे। दो दिवसीय प्रदर्शनी में ओडीओपी यानी ‘एक जिला एक उत्पाद’ के तहत उत्तर प्रदेश के 100 से अधिक शिल्पियों के उत्पाद भी प्रदर्शित किए जाएंगे। हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट से जुड़े कारीगरों व बुनकरों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों की मानक के अनुरूप गुणवत्ता सुधारने व उसकी ब्रांडिंग का गुर भी सिखाया जाएगा।तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए गुरुवार को उत्तर प्रदेश डिजाइन संस्थान की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला भी बनारस पहुंच गई। वह 17 फरवरी तक यहां रहेंगी।

दो दिवसीय आयोजन में शामिल होने वाले अंतरराष्ट्रीय बायर्स की ओर से तकनीकी सत्र एवं नॉलेज कान्क्लेव का आयोजन किया जाएगा। इस सत्र में कारीगरों को नए डिजाइन की महत्ता के साथ ही कलात्मक रंग संयोजन के बारे में बताया जाएगा। कारीगरों व शिल्पियों को अपने उत्पाद की आकर्षक तस्वीरें खींचने की तकनीक और बारीकियों की प्रैक्टिकल जानकारी देंगे ताकि आज के सर्वाधिक प्रचलित और पसन्दीदा ऑनलाइन बाजार में वे अपने उत्पाद की बेहतरीन प्रस्तुतिकरण कर सकें। विभिन्न देशों से आने वाले बायर्स बनारस की विभिन्न  गलियों में भी भ्रमण करते हुए हुनरमंदों की तलाश भी करेंगे। 17 फरवरी को बायर्स गुलाबी मीनाकारी, हैंडलूम, लकड़ी के खिलौने, मेटल रेपूसी के निर्माण इलाके का भी भ्रमण करेंगे और देखेंगे-परखेंगे की काशी के कुशल परम्परागत कारीगर किस प्रकार विभिन्न उत्पाद तैयार करते हैं और इसमें महारत हासिल करने में कितना समय व्यय होता है।

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