लक्ष्मी कान्त द्विवेदी

वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं, जब रोबोट भी आतंकियों से मोर्चा लेने में सुरक्षा बलों के जवानों की मदद करेंगे। कश्मीर जैसे इलाकों में ये रोबोट न केवल छिपे हुए आतंकियों पर नजर रखेंगे, बल्कि सुरक्षा बलों को उनकी गतिविधियों की पल-पल की जानकारी भी देते रहेंगे।

डीआरडीओ बना रही तीन जासूस रोबोटों की टीम

दरअसल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारतीय सेना के लिए तीन रोबोटों की एक टीम तैयार कर रही है, जो आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उनकी मदद करेगी। डीआरडीओ की टीम लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्सपो में उनके बेसिक फंक्शन का प्रदर्शन भी कर रही है। इनमें से पहला रोबोट उस परिसर की निगरानी करेगा, जहां आतंकियों के छिपे होने का अंदेशा होगा। दूसरा रोबोट इमारत के अंदर घुसेगा। यह सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में भी सक्षम है, अतः यह बड़ी आसानी से दूसरी-तीसरी मंजिल पर पहुंच कर उक्त इमारत का चप्पा-चप्पा छान सकता है। इसके अलावा यह निर्देश मिलने पर किसी वस्तु को उठाने और रखने में भी सक्षम है। तीसरा रोबोट एक छोटी गेंद के आकार का होगा, जिसे इमारत में दूर से ही फेंका जा सकेगा। आकार में छोटा होने की वजह से यह कहीं भी छिप सकता है।

डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने इन रोबोटों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, यदि सुरक्षा बलों को किसी मकान में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिलती है, तो ये रोबोट उनका खात्मा करने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। दरअसल ऐसे आपरेशनों में सटीक जानकारी मिलने का बहुत महत्व होता है। यह पता करना बहुत जरूरी होता है कि, भीतर कितने आतंकी हैं, कितनी जगह है और उनकी क्या पोजिशन है? ताकि हमारे जवानों को कम से कम नुकसान हो। अक्सर ऐसे आपरेशनों में आतंकियों को खत्म करने के साथ-साथ उनके हमलों से बचना एक बड़ी चुनौती होता है। मुम्बई हमले के समय यह पता लगाना ही काफी मुश्किल था कि, अंदर कितने आतंकी हैं और उनकी क्या पोजिशन है।

कमांड सेंटर पर भेजेंगे लाइव वीडियो

ये तीनों रोबोट लाइव वीडियो सुरक्षा बलों को उनके कमांड सेंटर पर भेजेंगे। संतरी रोबोट आपरेशन एरिया का बाहर से चक्कर लगाते हुए लाइव वीडियो भेजता रहेगा। भीतर घुसने वाला रोबोट सीढ़ियां चढ़ने-उतरने की अपनी क्षमता के कारण अंदर की पूरी जानकारी लाइव वीडियो के जरिए भेजता रहेगा। ये रोबोट सेंसर और इंफ्रारेड से लैस हैं, अतः ये अंधेरे में भी अपने काम को बखूबी अंजाम दे सकते हैं। अभी ये वाई-फाई के जरिए वीडियो भेज सकते हैं। इन्हें ऑटोनामस बनाने पर काम चल रहा है।

डीआरडीओ के तहत आने वाला सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम और नेटवर्किंग के क्षेत्र में काम कर रहा है। आपरेशनों के समय जवानों को किस तरह के ख़तरों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और आधुनिक तकनीक उनकी कैसे और कितनी मदद कर सकती है, इस बात को ध्यान में रखकर डीआरडीओ कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है।

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