लक्ष्मी कान्त द्विवेदी
इस बार गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर जिन 118 हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया, उनमें जयपुर के रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर भी हैं। उनके पुत्र फिरोज खान का हाल ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ था, लेकिन छात्रों के कड़े विरोध के बाद उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। बाद में कला संकाय के संस्कृत विभाग उनकी नियुक्ति की गयी।
मुन्ना मास्टर को पद्मश्री दिये जाने की घोषणा होते ही जयपुर के बगरु कस्बे में खुशी की लहर दौड़ गयी। उनके पिता गफूर खान भी भजन गायक और पक्के गौसेवक थे। इस प्रकार उन्हें गायकी और गौसेवा विरासत में मिली। जब वह सात वर्ष के थे, तभी उनकेे पिता गफूर खान का निधन हो गया। उसके बाद उनका लालन-पालन सिद्धू बुआ ने किया। उन्होंने ही मुन्ना मास्टर को गायकी भी सिखायी। बड़े होने पर वह मंदिरों में भजन गा कर अपनी आजीविका चलाने लगे, जिससे मुस्लिम समुदाय से उनकी दूरी बढ़ती चली गयी। साधु-संतों की संगति के कारण एक बार उन्होंने अपना यज्ञोपवीत संस्कार भी करा लिया था, जिससे चिढ़ कर मुस्लिमों ने उनकी पिटाई भी कर दी थी।
बहरहाल उन्होंने भजन गायन का काम नहीं छोड़ा और मंदिरों के साथ-साथ आर.एस.एस. विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यक्रमों में भी भजन गाने लगे। पद्मश्री पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद उन्होंने कहा कि, मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि, मुझे यह सम्मान भी मिलेगा। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय गौसेवा को देते हुए कहा कि, जब उन्हें यह सम्मान मिलने की सूचना मिली, उस समय भी वह गौसेवा ही कर रहे थे। रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर का शुरू से ही संस्कृत से काफी लगाव था और उन्होंने खुद संस्कृत पढ़ने के साथ ही अपने पुत्रों को भी संस्कृत की शिक्षा दिलवायी। हालांकि इसके लिए उन्हें अपने समुदाय के लोगों का कड़ा विरोध भी झेलना पड़ा और उनके रिश्तेदारों ने उनका साथ छोड़ दिया। बाद में जब उनके छोटे पुत्र फिरोज खान ने संस्कृत में पीएचडी करने के बाद जयपुर के संस्कृत कालेज में पढ़ाना शुरू किया तो फिर रिश्तेदार उनके साथ जुड़े। बाद में फिरोज खान की नियुक्ति बीएचयू में हुई।