विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। किसी बिल को पास कराने के लिए सरकारों को संसद के दोनों सदनों में बहुमत की दरकार होती है । वर्तमान बीजेपी सरकार का राज्य सभा में बहुमत नहीं है और उसे अहम बिल पास कराने के लिए अन्य दलों का सहारा लेना पड़ता है। जब 26 मार्च को रास की 55 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे तो उसके सामने अपनी सीटों को बढ़ाने की चुनौती होगी। उसे कम से कम 15 सीटों का लाभ होगा। कांग्रेस को 10 सीटें खोनी पड़ेंगी।
निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार संसद के उच्च सदन की 17 राज्यों में खाली हो रहीं 55 सीटों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया पांच मार्च को चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू होगी।इन सीटों पर चुनाव के लिए 26 मार्च को मतदान कराया जाएगा और उसी दिन मतगणना भी होगी। गौरतलब है कि 13 राज्यों से 50 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल आगामी दो अप्रैल को, दो राज्यों (ओडिशा और राजस्थान) से छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल तीन अप्रैल और झारखंड से दो सदस्यों का कार्यकाल तीन मई को समाप्त हो रहा है। इनमें उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 10 सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल को खत्म हो रहा है। इसके अलावा महाराष्ट्र और बिहार से छह-छह, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से पांच-पांच व गुजरात और कर्नाटक से चार-चार सदस्यों का कार्यकाल इसी दिन पूरा होगा।
चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन की अंतिम तिथि 12 मार्च तय की गयी है। वहीं, नामांकन पत्रों की जांच 13 मार्च को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 15 मार्च है। मतदान 23 मार्च को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और शाम पांच बजे मतगणना होगी।
उच्च सदन में जिनका कार्यकाल पूरा होगा, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.अरुण जेटली, शरद पवार, हरदीप पुरी, जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडे़कर, कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी, राजीव शुक्ला, रेणुका चौधरी तथा मनोनीत सदस्य रेखा एवं सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं। इसके अलावा सपा के नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, किरणमय नंदा, बसपा के मुनकाद अली, कांग्रेस के शादीलाल बत्रा, सत्यव्रत चतुर्वेदी, डॉ. के. चिरंजीवी, रहमान खान, रजनी पाटिल, नरेन्द्र बुढानिया व अभिषेक मनु सिंघवी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। अन्य प्रमुख नेताओं में जेडीयू के डॉ. महेंद्र प्रसाद, अनिल कुमार सहानी, वशिष्ठ नारायण सिंह, निर्दलीय चन्द्रशेखर एवं एवी स्वामी, एनसीपी की वंदना चह्वाण, डीपी त्रिपाठी, शिवसेना के अनिल देसाई, भाजपा के एल. गणेशन, थावरचंद गहलोत, मेघराज जैन, मनसुख लाल मंडाविया, भूषणलाल जांगिड, विनय कटियार, बसवाराज पाटिल, धर्मेंद्र प्रधान, रंगासायी रामकृष्णन, पुरुषोत्तम रुपाला, अजय संचेती, शंकरभाई एन. वेंगड, भूपेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कुणाल कुमार घोष, विवेक गुप्ता, नदीम-उल-हक, तेलुगू देशम पार्टी के देवेंद्र टी. गौड़, सीएम रमेश, माकपा के तपन कुमार सेन, बीजद केयू सिंह देव, दिलीप तिकी तथा मनोनीत अनु आगा शामिल हैं। इसमें बीजेपी के 17, कांग्रेस के 12, सपा के 6, बीएसपी, शिवसेना, सीपीएम के एक-एक, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस के 3-3, टीडीपी, एनसीपी, बीजेडी के 2-2 निर्दलीय तथा मनोनीत तीन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा हैं।
एनडीए 26 मार्च के बाद बहुमत के आंकड़े से पीछे रहेगी, हालांकि उसकी सदस्य संख्या में कम से कम 15 सीटों का इजाफा होगा। भाजपा को उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा जहां पर 10 सीटों पर चुनाव हैं। इसके अलावा पार्टी को उत्तराखंड में भी फायदा मिलेगा।। वहीं, भाजपा का बिहार विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा है लेकिन वहां वह अपने सहयोगी जदयू के भरोसे पर बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। हालांकि 245 सीटों वाले राज्यसभा में बहुमत के लिए जरूरी 123 सीटों से यह आंकड़ा तब भी काफी दूर है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन का खामियाजा सपा को इस राज्यसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ेगा। इस चुनाव में पार्टी को राज्यसभा में सबसे ज्यादा नुकसान होगा। कांग्रेस के भी 12 सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। पर उसे गुजरात और महाराष्ट्र से ही सीटें मिलेंगी। उसे भी करीब 8 सीटों का नुकसान हो सकता है।