कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार कामगारों पर पड़ी है। चौतरफा मुश्किलों से घिरे ये श्रमिक अब किसी तरह अपने गांव आना चाहते हैं लेकिन इनकी परेशानियां हैं कि कम होने का नाम नही ले रहीं। ताज़ा वाकया झारखंड की राजधानी रांची में रह रहे यूपी के 35 मजदूरों का है जिन्हें टिकट होने के बावजूद ट्रेन में चढ़ने का मौका नहीं मिला।

लॉकडाउन में इनलोगों ने कर्ज लेकर किसी तरह टिकट के पैसों का इंतज़ाम किया था। उसके बावजूद ये बेचारे घर नहीं जा पाए। दरअसल रांची में कंटेनमेंट जोन में रहने के कारण इन्हें पुलिस ने रोक दिया और इनकी ट्रेन छूट गई। इसके बाद हैरान-परेशान मजदूर वहीं धरने पर बैठ गए।

यूपी के ये 35 मजदूर कोरोना बंदी में रांची में परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। प्रशासन ने इन्हें सूखा अनाज मुहैया कराया है, लेकिन खाना तैयार करने के लिए चूल्हा नहीं जला पा रहे, क्योंकि गैस खत्म हो गया है। इनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि गैस भरवा पाएं इसलिए ये मजदूर रांची से अपने प्रदेश के लिए निकले। लेकिन कंटेनमेंट जोन में रहने के कारण पुलिस ने इन्हें स्टेशन जाने नहीं दिया। लिहाजा ये लोग ट्रेन पकड़ नहीं पाए।

मजदूरों का कहना है कि काफी मशक्कत से टिकट कटाया था। घर लौटने की उम्मीद बंधी। लेकिन सब बेकार हो गया। उनके पास पैसे नहीं हैं कि रांची में रह पाएं।

प्रशासन ने दिलाया मदद का भरोसा 

मजदूरों के धरना पर बैठने की सूचना मिलते ही अधिकारीगण मौके पर पहुंचे और उन्हें समझा बुझाकर घर भेज दिया। इन्हें परेशानियों को दूर करने का भरोसा दिलाया गया तब करीब घंटेभर बाद वापस अपने डेरे पर गये।

मजदूरों ने बताया कि पैसे के अभाव में कर्ज लेकर टिकट कटाया था। किसी तरह अपने गांव पहुंच जाते तो परेशानी दूर हो जाती। लेकिन अब रांची में गुजारा करना भी मुश्किल है क्योंकि पैसे नहीं हैं। मजदूरों ने बताया कि वे यहां शीशे काटने का काम करते थे।लेकिन लॉकडाउन में उनका काम बंद है।

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