बेंगलुरु में 12 दिन से ठहरे कांग्रेस के बागी 21 पूर्व विधायक शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए। बिसाहूलाल साहू ने पहले ही भाजपा की सदस्यता ले ली थी। ये सभी नेता बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचे थे। पहले इन नेताओं से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुलाकात की। इसके बाद सभी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर पहुंचे। इस दौरान कैलाश विजयवर्गी, नरेंद्र सिंह तोमर और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे। आज सभी नेताओं की गृहंं मत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इससे पहले ये सभी पूर्व विधायक चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे। इनके आज रात ही भोपाल आने की संभावना है। 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और शुक्रवार को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
छह मंत्री और 18 सिंधिया समर्थक सरकार से नाराज थे
बेंगलुरु में इस्तीफा देने वाले 18 विधायक सिंधिया समर्थक हैं। जबकि 4 ने सरकार से नाराज होकर इस्तीफा दिया था। इनमें ऐदल सिंह कंसाना और बिसाहूलाल दिग्विजय समर्थक माने जाते थे। हरदीप सिंह डंग और मनोज चौधरी किसी गुट के नहीं थे।
शिवराज को ही मिलेगी गद्दी
सवाल है कि अगला सीएम कौन बनेगा? शिवराज चौहान चूंकि पूरे अभियान को लीड करते रहें हैं इसलिए उनका पलड़ा भारी है। फिर विधायक उनके इर्द-गिर्द रहे हैं। तीन वार सीएम रहने से यह रोल उनके लिए नया नहीं होगा। फिर सबसे बड़ी बात सिंधिया का उनके पक्ष में होना। बीजेपी में शामिल होने वाले लगभग सभी विधायक ग्वालियर-चम्बल संभाग के हैं। ऐसे में सिंधिया का प्रभाव काम आएगा। चूंकि सिंधिया पार्टी में नए दामाद की हैसियत से आये हैं इसलिए उनकी पूछ ज्यादा रहेगी। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर भी दावेदार हैं क्योंकि वो भी इसी इलाके से आते हैं। उन्हें दरकिनार करना आसान नही होगा। रही बात नरोत्तम मिश्र की तो शिवराज से उनका अच्छा रिश्ता नहीं रहा है। वो तो वर्तमान हालात को देखकर साथ थे। लेकिन कल का उनका बयान काबिले गौर है कि सीएम का फैसला नड्डा जी और मोदी जी करेंगे।
16 विधायक ग्वालियर-चंबल से
इस्तीफा देने वाले 16 विधायक ग्वालियर-चंबल से हैं और इस क्षेत्र में सिंधिया का खासा प्रभाव है। उपचुनाव में सिंधिया के साथ ही यहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी काम करेगा। कांग्रेस इस बार सिंधिया के बिना ही इन सीटों पर उपचुनाव में उतरेगी।
उपचुनाव पर निर्भर है बागियों का भविष्य
22 बागियों के इस्तीफे और 2 विधायकों के निधन से प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर अब 6 माह के अंदर उपचुनाव होंगे। यानी अब इन 22 का भविष्य उपचुनाव पर टिक गया है। संभवत: मई-जून में चुनाव आयोग उपचुनाव करा सकता है। इनके नतीजे तय करेंगे कि नई सरकार बहुमत में रहेगी या अस्थिरता के बीच झूलेगी।