पदम पति शर्मा
हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर केस में चारों आरोपियों के साथ हुए एनकाउंटर पर सवाल उठने ही थे। मानवाधिकार की बात करने वाले पैशाचिक घटनाओं पर तोआँख मूंद लेते हैं। लेकिन पुुुलिसिया कार्रवाई पर उनकी भृकुटी टेढी होने में देर नहीं लगती। राजनीतिक शख्सियत प्रकाश अम्बेडकर हो या सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर। इन सभी ने इस मुठभेड पर सवालिया निशान लगाते हुए पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर दी। इस मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए. महिला के नाम पर कोई भी पुलिस एनकाउंटर करना गलत है।
हाँ, हो सकता है कि यह मुठभेड फर्जी रही हो। लेकिन देश इस मुठभेड से खुश है। आमजन का मानना है कि हमारे देश की 160 साल पुरानी न्यायिक व्यवस्था सड चुकी है। हमारे घर के पास रहने वाली छात्रा आभा यादव कहती है कि मुठभेड नहीं रेप जैसी घटनाओं के आरोपियों को सात दिन के भीतर ही चौराहे पर खडा करके गोली मार दी जानी चाहिए। इससे जनता के पास सही संदेश पहुंचेगा कि इस तरह का कुकृत्य करने के पहले हजार बार सोचना होगा।
सरकार के पास पुलिस और न्यायिक पुनर्सुधार की फाइल दशकों से धूल खा रही है। लेकिन अभी तक सरकार ने इन दोनो के आधुनिकीकरण की ओर कदम आगे नहीं बढाया है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। आप देखिए कि विलम्बित न्याय से अपराधी बेखौफ़ होकर तरह तरह के अपराधों को अंजाम देते हैं। भारतीय पुलिस की सोच आज भी अंग्रेजों के जमाने की है। रिपोर्ट लिखने मे हीलाहवाली आम है। पीडित को इसके लिए भी चढावा देने पर विवश होना पडता है।
आप देखिए कि हैदराबाद की घटना से अविचलित आरोपियों ने उन्नाव मे पांच दिसम्बर को अपने केस के सिलसिले मे रायबरेली जा रही रेप पीडिता को रास्ते में पकड कर आग लगा कर मारने का दुस्साहसिक कुकृत्य कर दिया। यूपी सरकार ने समुचित इलाज हेतु उसे बीती रात विमान से दिल्ली भेज कर अस्पताल में भर्ती किया है। लेकिन 90 प्रतिशत तक जल चुकी पीडिता की हालत काफी गंभीर है।
यह विलम्बित न्याय प्रणाली ही तो है कि सात साल पहले देश को हिला देने वाले निर्भया कांड के दोषियों को सजा मिलने के बाद भी आज तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है। मानवाधिकार की बात करने वालों ने क्या कभी मृत निर्भया के हक पर भी सवाल उठाया ?
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी यह कहने मे देरी नहीं की कि, ‘एनकाउंटर हमेशा ठीक नहीं होते हैं। इस मामले में पुलिस के दावे के मुताबिक आरोपी बंदूक छीन कर भाग रहे थे। ऐसे में शायद उनका फैसला ठीक हो। हमारी मांग थी कि आरोपियों को फांसी की सजा मिले, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत। हम चाहते थे कि स्पीडी जस्टिस हो। पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कार्रवाई होनी चाहिए। आज लोग एनकाउंटर से खुश हैं, लेकिन हमारा संविधान है, कानूनी प्रक्रिया है।.’
क्या महिला आयोग ने कभी त्वरित न्याय प्रक्रिया के लिए किसी भी स्तर पर आवाज बुलन्द की ? हमको तो याद नहीं आता। रेखा जी सरकार से त्वरित न्याय की व्यवस्था के लिए जोरदार तरीके से कहिए।
हैदराबाद पुलिस से सीख ले यूूपी पुलिस
इस मामले में तारीफ करनी होगी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की, जिन्होंने कहा कि बलात्कारियों में दहशत पैदा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को हैदराबाद पुलिस से सीख लेनी चाहिए। “मैं जब मुख्यमंत्री थी तब अपनी पार्टी के आरोपी लोगों को भी जेल भेजा था। उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस को अपना रवैया बदलना चाहिए।”
यह तो ठीक है मायावती बहन जी पर यह क्यों भूल जाती हैं कि आपने अपने साथ लखनऊ के वीआईपी गेस्ट हाउस मे हुए अत्याचार के आरोपियों के खिलाफ केस वापस ले लिया है। क्या इस कदम से समाज मे सही संदेश गया ?
बीजेपी ने की हैदराबाद पुलिस की तारीफ
वहीं, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा, ‘धन्यवाद हैदराबाद पुलिस, यह बलात्कारियों से निपटने का तरीका है। आशा है अन्य राज्यों की पुलिस आपसे सीख लेगी.’
यह था पूरा मामला
हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर केस में चारों आरोपियों का शुक्रवार सुबह 3 से 6 बजे के बीच एनकाउंटर कर दिया गया था। पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने क्राइम सीन रिक्रिएट के दौरान हमला कर दिया और हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगे। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों को मार गिराया। होो सकता है कि पुलिस का यह दावा झूठा हो। मगर देेेश की जनता बलात्कारियों के मारेे जाने से खुश है, इसमें संदेह नहीं ।