महाराष्ट्र में सरकार गठन के गतिरोध के बीच प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने एक सुर में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चेतावनी दी थी कि सरकार बनाने में विफलता, राज्य में पार्टी को खत्म कर देगी। सूत्रों ने बताया कि बीते सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोराट, मणिकराव ठाकरे और रजनी पाटिल ने चुनावों के बाद भगवा गठबंधन के पतन के बाद पार्टी को मिले अवसर को भुनाने पर जोर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के अधिकांश विधायकों में नवगठित सरकार का हिस्सा होने की भी बेचैनी थी। सरकार गठन के गतिरोध के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के 44 विधायक पिछले कई दिनों से जयपुर के एक होटल में रुके हुए हैं। हालांकि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने और सरकार गठन की उम्मीद धूमिल होने के बाद कांग्रेस विधायक आज मुंबई लौट रहे हैं।

बता दें कि विधायकों के सरकार में शामिल होने की बेचैनी के तर्क पर एआईसीसी नेताओं ने मजूबत विरोध किया। इनमें एआईसीसी में शामिल अनुभवी कांग्रेस नेता एके एंटनी, मुकुल वासनिक के अलावा पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल शामिल थे। अंग्रेजी अखबार टीओआई ने अपनी एक खबर में लिखा है कि इन नेताओं ने शिवसेना की कट्टर हिंदुत्व की छवि देखते हुए गठबंधन के खिलाफ अपनी बात रखी थी।

इस दौरान केसी वेणुगोपाल ने कर्नाटक में जेडी (एस) के साथ गठबंधन की विफलता का हवाला दिया और महाराष्ट्र प्रस्ताव पर सवाल उठाए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि महाराष्ट्र मुद्दे पर एके एंटनी और वेणुगोपाल मंगलवार सुबह सोनिया गांधी से एक बार फिर मिले थे।

एक बिंदु पर पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने इस आधार पर सवाल उठाया कि ‘सांप्रदायिक’ शिवसेना के साथ सरकार बनाने से अल्पसंख्यकों के साथ पार्टी को नुकसान होगा। इसी तरह सोनिया गांधी भी शिवसेना के साथ एक संभावित समझौते के खिलाफ थीं, मगर तब राज्य के नेताओं की चेतावनी पर ध्यान दिया। इस विभाजन के बीच, सोनिया भी शिवसेना के साथ एक संभावित समझौते के खिलाफ थी, लेकिन राज्य के नेताओं की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एनसीपी चीफ शरद पवार से सरकार गठन के तौर तरीकों पर बातचीत की।

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