अंकुर कुमार
नई दिल्ली। AK 47 और इंसास रायफलों की गोलियों को झेलने में सक्षम बुलेट प्रूफ जैकेट का देश में उत्पादन शुरु हो गया है। ये अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता से भी बेहतर है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि भरतीय मानक ब्यूरो ने बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए मानक तैयार किया है जिसमें गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर से बेहतर पाई गई है। इसकी गुणवत्ता अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी के बराबर है। उन्होंने बताया कि यह जैकेट लगभग 50 फीसदी सस्ता है और इसका निर्यात भी किया जा रहा है। न्होंने कहा कि इस तरह के 3.5 लाख जैकेट्स की मांग है।
पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि बीआईएस ने बुलेट प्रूफ जैकेट पर एक राष्ट्रीय मानक तैयार किया है, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन जैकेटों का वजन 5.5 किलोग्राम से 10 किलोग्राम तक होता है, जो अन्य जैकेट की तुलना में लगभग आधा होता है और इसमें त्वरित रिलीज सिस्टम भी होता है। कीमतें लगभग 70,000 रुपये प्रति जैकेट का हैं। बीआईएस मानक को गृह मंत्रालय और नीति आयोग के निर्देश पर तैयार किया गया है। इन मानकों से भारतीय सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों की लंबे समय से लंबित जरूरतों को पूरा होने की उम्मीद है और उनकी खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
फिलहाल, दो सार्वजनिक उपक्रम मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी-हैदराबाद) और आर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्टरी (अवाडी) और निजी कंपनी एसएमपीपी (पलवल) एमकेयू (कानपुर), स्टारवायर (फरीदाबाद) बीआईएस मानदंडों के अनुसार बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्माण कर रहे हैं। सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, एनएसजी सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने भारतीय मानकों के अनुसार बुलेट प्रूफ जैकेटों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की है।
छह लेवल का प्रोटेक्शन
पासवान ने कहा, ‘इस जैकेट में छह लेवल का प्रोटेक्शन है। जैकेट का वजन दस किलो है, लेकिन वेट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कारण जवान को पहनने के बाद इसका वजन पांच किलो ही महसूस होगा।’ मालूम हो कि पहले जैकेट में स्टील प्लेट लगी होती थी, पर अब इसमें बोरोन कार्बाईड प्लेट्स लगी है, जिससे वजन कम हो गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दिसंबर 2018 में जैकेट के लिए स्टैंडर्ड नोटिफाई हुई थी। वहीं, उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल सभी फोर्सेस कर सकेंगी। इसके कुछ मेटीरियल बाहर से जरूर आए हैं, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग भारत में ही हो रही है।’