1965 से पूर्व रजिस्टर मुआयना के प्रार्थना-पत्रों का लगा अंबार

विशेष संवाददाता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने की संभावनाओं की बात क्या कही, उसकी दुश्वारियों का आभास बनारस के रहने वालों तक पहुंच गया। दस्तावोजों में अपनी जड़ों की तलाश शुरू हो गयी। इसके लिए नगर निगम के जन्म-मृत्यु पंजीयन कार्यालय में भीड़ उमड़ पड़ी है।

वर्ष 1965 से पहले के दस्तावेजों में अपनी जड़ों को तलाशने के लिए मुआयना कराने हेतु प्रार्थना-पत्रों का अंबार लग गया है। कार्यालय के वरिष्ठ सहायक राकेश सिंह की टेबल पर बीते दो दिनों में 75 से अधिक प्रार्थना-पत्र सौंपे गए। रजिस्ट्रार आरएस यादव के नाम से प्रार्थना-पत्र दिया जा रहा है। राकेश सिंह के अनुसार वर्ष 1965 तक के रजिस्टर तो उनके कार्यालय में उपलब्ध हैं लेकिन उसके पहले के मुआयना प्रार्थना-पत्रों के लिए रिकार्ड रूम को भेजा जा रहा है। मुआयना के लिए फीस निर्धारित कर दी गई है जिसकी दर प्रति वर्ष 16 रुपये है। उन्होंने बताया कि नगर निगम एक अप्रैल 1970 तक विलंबित जन्म प्रमाण-पत्र पंजीकृत करता है।

इसके लिए प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट से आदेश लेना होता है जिसके बाद निर्धारित फीस जमा कर जांच के लिए संबंधित जोनल कार्यालय को भेज दिया जाता है। क्षेत्रीय स्वास्थ्य निरीक्षण मौका-मुआयना व गवाहों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर कार्यालय को प्रेषित करते हैं जिसके बाद प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। कहना है कि सभी प्रमाण-पत्र ऑनलाइन कर दिए जाते हैं। विलंबित जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए स्कूल की आइडी, पैनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र आदि दस्तावेज संलग्न करने होते हैं।

काशी नगरी मे भी बांगलादेशी घुसपैठियों की खासी संख्या है। इसके अलावा कितने ही पाकिस्तानी नागरिक वीजा की निर्धारित तिथि बीत जाने के बावजूद वापस न जाकर यहाँ छिप कर रह रहे है। इन्टेलिजेन्स एजेंसियों के पास इसकी खुफिया जानकारी है।

जब पड़ताल शुरू होगी तब सारा सच सामने आ जाएगा। गृहमंत्री पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि शरणार्थियों को छेड़ेगे नही, घुसपैठियों को छोड़ेंगे नहीं।

शनिवार को ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान जो सात करार हुए हैं उनमे जालिम रोहिन्गिया घुसपैठियों की वापसी पर भी सहमति बनी है।

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