नई दिल्ली: देश भर में 18 हजार से अधिक वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है और इनमें से 1300 से ज्यादा संपत्तियां सरकारी विभागों अथवा एजेंसियों के कब्जे में हैं। केंद्रीय वक्फ परिषद ने सूचना के अधिकार कानून (RTI) के तहत दायर आवेदन के जवाब में यह जानकारी दी है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था वक्फ परिषद के मुताबिक, देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 18,280 वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है। वक्फ परिषद का कहना है कि 16,931 वक्फ संपत्तियों पर निजी संगठनों अथवा व्यक्तियों का कब्जा है तो 1,349 संपत्तियों पर सरकारी विभागों अथवा एजेंसियों का अतिक्रमण है।
जानकारी के मुताबिक, पंजाब में सबसे ज्यादा 5,610 वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है। इसी तरह मध्य प्रदेश में 3240, पश्चिम बंगाल में 3082, पश्चिम बंगाल में 3,882 और तमिलनाडु में 1,335 संपत्तियों पर निजी संस्थाओं अथवा व्यक्तियों का कब्जा है। दिल्ली में 373 वक्फ संपत्तियों पर निजी संस्थाओं अथवा व्यक्तियों का अतिक्रमण है। अतिक्रमण और इनको हटाने के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर वक्फ परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘2014 में संशोधित कानून बनने के बाद संपत्तियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए लगातार कोशिश की गई, लेकिन मुकदमों की संख्या हजारों में होने की वजह से अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।’
उन्होंने कहा, ‘वक्फ संपत्तियों पर मुकदमों के त्वरित निस्तारण के मकसद से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जकीउल्लाह खान की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनी थी। इसकी रिपोर्ट लागू करने पर तेजी से काम चल रहा है। समिति की रिपोर्ट के क्रियान्वयन से वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुकदमे काफी हद तक कम होने और कब्जे हटने की संभावना है।’ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 अक्टूबर, 2018 तक देश में 5,74,491 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों से संबंधित 24,906 मामले अदालतों में लंबित हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इन्हीं मुकदमों को खत्म करने के मकसद से वक्फ संपत्तियों से संबंधित नियमों की समीक्षा के लिए पिछले साल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जकीउल्लाह खान की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई थी जो अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। गौरतलब है कि इस समिति ने वक्फ नियम-2014 में बदलाव की सिफारिश की है। उसने वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए लीज की अवधि 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करने, वक्फ संपत्तियों पर देय सुरक्षा जमा को तर्कसंगत बनाने और शुल्क के भुगतान पर संपत्तियों की लीज किरायेदार के कानूनी उत्तराधिकारी के नाम हस्तांतरित करने जैसी कई सिफारिशें की हैं।