अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक

नागरिकता संशोधन विधेयक पर बुधवार को राज्यसभा में जद्दोजहद। एक बार फिर बहस छिड़ेगी और बिल के पास होने को लेकर कश्मकश भी कम न होगी । केंद्र सरकार विधेयक पारित कराने के लिए पूरा जोर लगा रही है। बहुमत का जुगाड़ करने के लिए सरकार के रणनीतिकारों ने कई बैठकें की हैं।

उधर, विपक्ष भी राज्यसभा में अपनी ताकत दिखाने की जुगत में लग गया है । हालांकि, सरकार संख्याबल का जुगाड़ होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। माना जा रहा है कि सरकार अपने फ्लोर मैनेजमेंट के जरिए इस विधेयक को उच्च सदन में पारित कराने में कामयाब होगी। लोकसभा में समर्थन करने वाले शिवसेना और जदयू का रुख राज्यसभा में देखने लायक होगा। क्योंकि लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद दोनों दलों के नेताओं के विरोधाभासी सुर देखने को मिले हैं। हालांकि, सरकार के रणनीतिकार मान रहे हैं कि जिन दलों ने लोकसभा में विधेयक का समर्थन किया है वे किसी भी सूरत में राज्यसभा में विरोध में मतदान नहीं करेंगे।

लेकिन आइए जानते हैं नागरिकता संसोधन विधेयक पारित होने के लिए क्या है राज्यसभा का गणित ?

राज्यसभा में कुल 245 सांसद होते हैं लेकिन उच्च सदन की मौजूदा संख्या 240 है। ऐसे में नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए 121 सांसदों का समर्थन चाहिए। भाजपा के पास कुल 83 सदस्य हैं। विधेयक पारित कराने के लिए भाजपा को 38 अन्य सांसदों का समर्थन चाहिए। एनडीए के साथ वह लगभग 115 की संख्या में है। अगर मतदान के दौरान कुछ सदस्य वाकआउट कर जाते हैं तो सरकार के लिए बहुमत का आंकड़ा जुटाना और भी आसान हो जाएगा।

कौन होगा साथ , कौन छोड़ सकता है हाथ !

अगर लोकसभा में दलों का रुख देखकर राज्यसभा का गणित देखें तो एआईएडीएमके के 11 सांसद, बीजेडी के सात, जेडीयू के छह, अकाली दल के तीन, मनोनीत चार सांसद और 11 अन्य का समर्थन मिल सकता है। अन्य में निर्दलीय और कुछ छोटे दल शामिल हैं। शिवसेना को भी जोड़ लें तो सत्तापक्ष का गणित 128 के आसपास पहुंच रहा है। ऐसे में विधेयक पारित कराने में सरकार को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

मगर लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद एनडीए के दो घटक दल शिवसेना और जेडीयू के सुर बदले बदले से नज़र आ रहे हैं।

शिवसेना ने लोकसभा में सरकार से सवाल-जवाब के बावजूद विधेयक का समर्थन किया लेकिन मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बयान के बाद एक बार फिर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। जद यू में भी कई नेता पार्टी का फैसला बदलने के लिए नेतृत्व पर दबाव बना रहे है। हालांकि, सत्तापक्ष मान रहा है कि ये दोनों दल विधेयक के पक्ष में वोट करेंगे। लोकसभा में इन्होंने सरकार को इस बिल पर समर्थन के लिए हामी भरी थी। मगर शिवसेना पर अपने महाराष्ट्र में सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी का ज्यादा दबाव पड़ा तो ज्यादा से ज्यादा वह वाकआउट के विकल्प का इस्तेमाल कर सकती हे। इससे भी सरकार का गणित नहीं बिगड़ेगा लेकिन शिवसेना अगर यैसा करती है तो अपने हिंदुत्व के मुद्दे से भटकती नज़र आएगी और फिर अपने ही कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे पर घिर सकती है।

विरोध में कौन-कौन से दल

जो दल नागरिकता संसोधन बिल का विरोध कर रहे हैं उनकी संख्या राज्यसभा में कुछ इस तरह से है ।

कांग्रेस 46, तृणमूल कांग्रेस-13, मुस्लिम लीग-एक, जेडीएस-1,राजद-4,सपा-9,राकांपा-4,माकपा-5, , भाकपा-1,टीडीपी-2,टीआरएस-6,द्रमुक-5, बसपा-4,आम आदमी पाटी-3 ये दल विधेयक के खिलाफ हैं। लेकिन विपक्षी खेमे के कुछ दलों में अभी भी स्थिति साफ नहीं है।

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