विशेष संवाददाता
तमाम विरोधों के बावजूद 23 सदस्यीय यूरोपीय सांसदों के डेलीगेशन का कश्मीर दौरा सम्पन्न हुआ । EU के 23 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सेना ,कश्मीर पुलिस, स्थानीय प्रशासन के अलावा सूत्र बताते हैं कि कुछ स्थानीय नागरिकों के समूहों से भी मुलाकात की और उनका फीड बैक लिया । हालांकि भारत की डिप्लोमेटिक पॉलिसी में कश्मीर मुद्दे को EU देशों से हमेशा अलग रख गया है और यह पहला मौका है जब कश्मीर मे ज़मीनी शांति और सुरक्षा के मुआयने के लिए EU देशों का डेलीगेशन कश्मीर पहुँचा हो ।
हालाँकि भारत दौरे पर आये प्रतिनिधिमंडल की संख्या 28 थी। लेकिन इसके चार सदस्य कश्मीर न जाकर स्वदेश लौट गये। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद क्रिस डेविस ने बिना सुरक्षा बलो के स्थानीय लोगों से मिलने की जिद की थी। इसके चलते सुरक्षा कारणों से उनको कश्मीर का आमंत्रण वापस ले लिया। 23 सदस्यों ने ही घाटी का दौरा किया।
भारत सरकार की इस पहल पर जानकारों का मानना है कि 370 पर भारत के फैसले के बाद जो उहापोह कि स्थिति पूरे विश्व में बनी हुई थी उसी पर से पर्दा हटाने की और कश्मीर की वास्तविक सच्चाई पूरे विश्व के सामने लाने की भारत सरकार की यह पहली पहल है । जानकार बताते हैं कि डिप्लोमेसी में कोई भी पॉलिसी नही होती ।
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे को लेकर सभी विपक्षी पार्टियों ने सरकार की आलोचना की । विपक्षी पार्टियों ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि EU डेलिगेशन को बीजेपी की सरकार इज़ाज़त दे रही और देश के विपक्षी दलों को आखिर वहां जाने से क्यों रोक रही है । इस आलोचना का जवाब देते हुए बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को किसी ने भी कश्मीर घाटी जाने से नहीं रोका है क्योंकि अब वहां स्थिति ‘सामान्य हो गई है। भाजपा ने कहा कि विपक्ष अपनी विफलता से हताश है इसीलिए यूरोपीय संघ के सांसदों के कश्मीर दौरे पर इतना हंगामा मचा रही है ।
कांग्रेस क्यों नहीं जाती किसने रोका है- भाजपा
भाजपा का कहना है कि काँग्रेस देश हित ताक पर रख कर हर मुद्दे पर राजनीति करना चाहती है। जब स्थिति असामान्य थी तो उसे और बिगाड़ने के लिए काँग्रेस वहां जाने को बेताब थी अब ”जब स्थिति सामान्य हो गई है तो कांग्रेस नेता कश्मीर का दौरा करने क्यों नहीं जा रहे उन्हें किसने रोका है ? राहुल गांधी अब क्यों नही जा रहे है ? यदि यूरोपीय संघ के कुछ सांसद जा रहे हैं तो यह अच्छा है कि हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।
ओवैसी पर भाजपा का हमला
बीजेपी ने एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी पर भी हमला बोला और कहा कि वह हर मुद्दे को ”हिन्दू-मुस्लिम के चश्मे से देखते हैं। दरअसल ओवैसी ने यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल के इस दौरे पर सवाल करते हुए कहा था कि यह दौरा यूरोपीय संघ के सदस्यों की आधिकारिक यात्रा नहीं है और इस डेलिगेशन में घाटी का दौरा कर रहे अधिकतर यूरोपीय सांसद “इस्लामोफोबिया” से पीड़ित हैं। इधर कांग्रेस ने इसे ”राष्ट्रीय शर्मिंदगी करार दियाहै । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा का राष्ट्रवाद अजीब है। यूरोपीय सांसदों को दौरा करने और कश्मीर में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जा रही है, जबकि भारतीय सांसदों को हवाईअड्डे से वापस भेज दिया जाता है। गौरतलब है कि धारा 370 पर सरकार के फैसले के बाद और जम्मू कश्मीर से सारी कनेक्टिविटी खत्म होने की वजह से राहुल गांधी की अगुआई में कुछ सिनियर कांग्रेस लीडर जम्मू कश्मीर के दौरे पर निकले थे मगर उन्हें एयरपोर्ट से ही लौटा दिया गया था ।
यूएन ने चिन्ता जाहिर की
इस दौरे की बाद से भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी बयान नही आया है मगर इन सब के बीच यूएन ने कश्मीर पर अपनी चिंता जाहिर की है । मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने अगस्त में भारत सरकार की तरफ से जम्मू कश्मीर में विशेष प्रावधान देनेवाले अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद वहां की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि, भारत सरकार कश्मीर में पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करें और लोगों के अधिकार उन्हें वापस दें।
यूएन पैनल की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आयी है जब 23 सदस्यीय यूरोपियन सांसदों की डेलीगेशन कश्मीर दौरे पर है और दो दिन बाद यानी 31 अक्टूबर को केन्द्र शासित प्रदेश के तौर पर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग भागों में बांटा जाना है। यूएन ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद काफी सख्त प्रतिबंध लगाए गए है । जम्मू और लद्दाख में ‘अघोषित कर्फ्यू’ को लगाने के कुछ ही दिनों बाद उसे भले हटा लिया गया मगर कश्मीर के एक बड़े हिस्से में अभी भी यह जारी है और लोगों के खुलेआम घूमने पर पाबंदी लगी हुई है जो अमानवीय है।
पाकिस्तान की देशों को चेतावनी
इस दौरे के बीच ही पाकिस्तान की तरफ से सख्त बयान आया है । पाकिस्तान ने एक बार फिर धमकी देते हुए कहा है कि जो देश कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ नहीं देंगे उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा ।