विशेष संवाददाता

अर्थव्यवस्था की खराब होती स्थिति के लिए आलोचना झेल रही मोदी सरकार के लिए एक राहत देने वाली खबर आयी है। दरअसल जनवरी से मार्च की तिमाही में देश के शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान शहरों में बेरोजगारी दर का आंकड़ा 9.3% पर पहुंच गया था, जो कि बीती चार तिमाही में सबसे निचले स्तर पर था।

ये आंकड़े स्टैटिक्स मंत्रालय द्वारा रिकॉर्ड किए गए हैं। जनवरी-मार्च की तिमाही में बेरोजगारी दर 9.3% तक पहुंच गई थी, जबकि पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 9.9% था।

इस रिपोर्ट में सिर्फ शहरी इलाकों के डाटा को शामिल किया गया और देश के ग्रामीण इलाकों का डाटा इसमें शामिल नहीं है। सरकार की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। हालांकि यह रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है। रायटर्स ने इस रिपोर्ट को रिव्यू किया है। रिपोर्ट के अनुसार, ये आंकड़ा ‘करेंट वीकली स्टेटस’ मैथ्ड के आधार पर जुटाए गए हैं।

इस प्रक्रिया के तहत एक छोटी समय-सीमा के अंदर बेरोजगारी के औसत आंकड़े जुटाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में किसी व्यक्ति को बेरोजगार तब माना जाता है, जब उसने हफ्ते में एक घंटे भी काम ना किया हो।

इसके अलावा 15-29 साल के युवाओं में भी मार्च, 2019 की तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 22.5% पर आ गई है, जो कि बीती तिमाही में 23.7% थी। देश की कुल जनसंख्या 1.3 अरब में से 15-29 साल के युवाओं की संख्या एक तिहाई है। ऐसे में इस आयु वर्ग में बेरोजगारी दर घटना भी सरकार के लिए राहत की बात है।

बता दें कि जुलाई, 2017-जून 2018 के बीच की वार्षिक रिपोर्ट, जो कि इस साल फरवरी में लीक हुई थी और एक अखबार में प्रकाशित हुई थी, उसमें खुलासा हुआ था कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे उच्च दर पर पहुंच गई है। इसके बाद मोदी सरकार ने मई में यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगारी दर में गिरावट का कारण दिहाड़ी मजदूरी में बढ़ोत्तरी और स्व-रोजगार में तेजी के चलते आयी है। हालांकि अभी भी श्रमबल में भागीदारी की दर में गिरावट जारी है। भारत की विकास दर बीते 4 सालों में सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई है। माना जा रहा है कि आगामी तिमाही में यह 5% तक गिर सकती है।

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