पाकिस्तान के साथ अटल ड्रैगन समय समय पर भारत के सामने खड़ा दिखा है
वैसे मोदी-जिनपिन्ग की इस अनौपचारिक बैठक को सफल करार तो देना ही होगा
अनिता चौधरी
(राजनीतिक संपादक )
पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दो दिवसीय अनौपचारिक मुलाकात खत्म हो चुकी है । चीनी राष्ट्रपति आज भारत यात्रा के समापन बाद नेपाल जा रहे हैं। वहां कम्युनिस्ट लीडर के.पी.ओली की सरकार है और जिस सरकार ने नेपाल का संविधान जब आया तो मधेश को कोई जगह नहीं दी थी । नेपाल की वही ओली सरकार जो रोजमर्रा की सारी सामग्री लेती तो भारत से है मगर गाती चीन की है
। नेपाल में चीन द्वारा फंडेड इंफ्रास्ट्रक्चर का आलम ये है कि चीन से भारत बॉर्डर तक की सड़कें बना रहा है । ताकि कभी विषम परिस्थिति आये तो चीन बॉर्डर तक अपने कॉन्वॉय और क्राफ्ट उतार सके । वैसे आने से पहले शी जिनपिंग पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर के साथ अपने घर मे मिल चुके थे । कश्मीर और चीन-पाकिस्तान कॉरिडॉर को लेकर गरमा गरम बयान भी दिए थे हालांकि भारत को ये आश्वासन दे दिया था कि भारत को कहीं से कोई खतरा नहीं है । अब इस अनौपचारिक मुलाकात के बाद जाते हुए शी जिनपिंग नेपाल होते हुए स्वदेश लौटेगे।
नेपाल जिससे भारत का कभी रोटी-बेटी का नाता था , खुले बॉर्डर के उस तरफ सीता मैया का मायका और इस तरफ प्रभु श्री राम का बसेरा । गौतम बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल रही तो कर्मस्थली भारत । मगर आज रोटी – बेटी वाले इस रिश्ते में नेपाल की मधेश बेटी अपना अस्तित्व तलाश रही है और हम वचनबद्ध हो कर नेपाल से रोटी का रिश्ता गर्मजोशी के साथ निभा रहे है । इन सब के बीच चीन नेपाल में अपनी पैठ बना रहा है ।
अब भारत को ये तय करना है कि आखिर इन सभी पड़ोसियों के रिश्तों के बीच चीन से उसका किस तरह का दोस्ताना संबंध है ।
वैसे मीडिया की माने तो वुहान की तरह शी और मोदी की दूसरी अनौपचारिक मुलाकात भी एकदम सफल रही । ये रिश्ता अब एक नए आयाम को छूने जा रहा है । इस इनफॉर्मल मीट में कई फॉर्मल वादे भी हुए मसलन आतंक के खिलाफ एकजुटता , ट्रेड वाला रिश्ता , एक दूसरे को समझते हुए मज़बूती के साथ आगे बढ़ने के बड़े वायदे और उम्मीद वगैरह,वैगरह । जब कई हज़ार साल से एक ही ढलान पर सारे सुनामी को झेलते हुए बिना टस से मस हुए कृष्ण बटर बॉल के सामने मज़बूती से हाथ पकड़े दोनों नेताओं ने जब फ़ोटो खिंचवाए तो ऐसा लगा मानो ये रिश्ता हिमालय की तरह एक नए आयाम को छुएगा । मगर शायद भारत सरकार और उसकी मीडिया एक बार फिर गलती कर रही है इतिहास गवाह है कि ड्रैगन ने जब जब सामने से गले लगाया है पीठ में खंज़र ही भोंका है । ताजा उदाहरण कश्मीर पर ही ले लीजिए । लगभग पूरा विश्व इस मुद्दे पर भारत के साथ है मगर चीन अपना अलग ही राग अलाप रहा है । ठीक अपनी भारत यात्रा के पहले चीन ने कश्मीर को लेकर हर बार बदले हुए बयान दिए। आतंक के खिलाफ एकजुटता और मज़बूती से लड़ने का वादा करने वाले चीन की सच्चाई ये है कि जैश का सरगना मसूद अजहर , पकिस्तान में आतंक का आका इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित न हो इसके लिए चीन ने सबसे ज्यादा वीटो का इस्तेमाल किया है । एनएसजी में चीन ने हर बार भारत का विरोध किया है । ऐसे कई मौके आये जब चीन ने पाकिस्तान के लिए भारत के सामने नजर आया है ।
बहरहाल भारत सरकार और मीडिया की माने तो पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ये इनफॉर्मल मीटिंग जबरदस्त रही और पाकिस्तान धराशायी हुआ पड़ा है । ऐसे में हम दुआ ही नही कर रहे हमें पूरी उम्मीद भी है कि भारत-चीन की ये अटूट दोस्ती चट्टान की तरह अडिग रहेगी और कभी नहीं टूटेगी । मगर साथ मे दुआ ये भी है कि भारत चीन उस नई केमेस्ट्री वाले रिश्ते के लिए, चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की जो कृष्ण मक्खन गेंद है वो सारे स्वार्थों के मोह छोड़ते हुए जरूर लुढ़क कर नीचे गिरे।
वैसे हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी दूरदर्शी हैं इसलिए उनके हर कदम के गहरे मतलब होते हैं । उनकी दूरदर्शिता का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब 74वीं यूएनजीए मीट में पीएम मोदी का भाषण चल रहा था तो भाषण की शुरुआत तमिल कवि की कविता से हुई थी और समापन में शांति की अपील के साथ शांति दूत भगवान बुद्ध का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि हमने युद्ध नहीं दुनिया को बुद्ध दिये हैं। ऐसे में इस पूरे कार्यक्रम के बीच पीएम मोदी ने एक तीर से दो निशाना साधा पहला चीन को तो साधा ही दूसरी तरफ द्रविड़ परिधान में पूरे समय नज़र आते ,समुद्र तट पर सफ़ाई करते हए तमिलनाडु की राजनीति में बीजेपी की जबरदस्त एंट्री का भी आगाज़ कर दिया है । अब देखना ये होगा कि दूरदर्शी राजनीति में इस दौर के चाणक्य कहे जाने वाले मोदी जी किसको कितना साध पाते हैं।