कांग्रेस के ना कहने से सेना फिर बैकफुट पर

विशेष संवाददाता

2014 की तरह ही एक बार फिर भाजपा महाराष्ट्र में अल्पमत की सरकार बनाने की दिशा में अग्रसर हो चुकी है। उसने पांच नवम्बर के लिए वानखड़े स्टेडियम बुक कराया है। हालाँकि समाचार लिखे जाने तक बीसीसीआई की मंजूरी नहीं मिल सकी थी । भाजपा एक बार फिर देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व मे सरकार बना लेगी । पाँच नवम्बर को शपथ ग्रहण समारोह होगा।

दशकों तक बड़े भाई की भूमिका मे रहने वाली शिवसेना वर्तमान मे गिर कर छोटा भाई हो जाने से अपमान की आग मे जल रही है। वह किसी भी कीमत पर महाराष्ट्र मे अपनी खोयी जमीन फिर से हासिल करना चाहती है और इसके लिए जरूरी है कि वह अपने नेतृत्व में सरकार बनाए। उसने चुनाव के दौरान इसीलिए उद्धव ठाकरे के युवा पुत्र आदित्य ठाकरे का, जो बर्ली से चुन कर आए हैं, नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उछाल दिया था। शिवसेना ने राजनीतिक दृष्टि से विपरीत धुरी की कांग्रेस तक से हाथ मिलाने की तैयारी कर ली थी । गुरूवार को देर रात राज्य कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता ने मातोश्री मे सेना प्रमुख उद्धव से दो घंटे तक वार्ता की थी। जाहिर है कि तड़के दो बजे तक हुए विचार विमर्श के दौरान दोनों एक दूसरे का कुशल क्षेम तो नहीं पूछा होगा।

इस वार्ता के ही आधार पर ही सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने आज सुबह भाजपा के बगैर सरकार बनाने का ऐलान करते हुए काग्रेस और एनसीपी से गठजोड़ का संकेत भी दे दिया था।

उधर भाजपा बखूबी जानती है कि सेना का कांग्रेस से साथ भविष्य की राजनीति के मद्देनजर उसके खुद के लिए आत्महत्या सरीखा कदम होगा और ऐसी स्थिति में राज्य मे वोटों का भाजपा के पक्ष मे ध्रुवीकरण हो जाएगा। सेना भी इस बात को नहीं समझती, ऐसा नहीं है। बावजूद इसके भाजपा को हरदब मे लाने के लिए अपने मुख्यमंत्री का दाँव उसने चल दिया। लेकिन कांग्रेस ने उसको शाम होते होते यह कहते हुए आईना दिखा दिया कि वह शिवसेना को समर्थन नहीं दे सकती। इस मुद्दे पर कांग्रेस बुरी तरह बंट चुकी है। क्योंकि सेना के साथ जाने का मतलब उसके हाथ से बचे खुचे वोटों का भी निकल जाना होगा।

भाजपा इन गतिविधियों से अनजान नहीं है।इसीलिए उसने पांच नवम्बर को शपथ ग्रहण का कार्यक्रम रख दिया है। इस बीच यदि सेना साथ आ गयी तो ठीक अन्यथा वह अल्पमत की सरकार बनाने के बाद बहुमत का जुगाड़ कर लेगी।

कटाकटी के बीच फिलहाल गेंद भाजपा के कोर्ट में है। लेकिन देखना होगा कि अगले चार दिनों में कौन से समीकरण सामने आते हैं। इस समय देखा जाय तो बागी हो कर जीते 15 विधायक सहित उसके पास संख्या 120 हो चुकी है उसे चाहिए और 25 जिसको वो जुटाने की टिप्पस शुरू भी कर चुकी है।

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