बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल, 2019 से भारत की ऐतिहासिक धर्मनिरपेक्ष छवि कमजोर होगी। उन्होंने अपने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताए जाने के आरोपों का भी खंडन किया।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल में 31 दिसंबर 2014 तक भारत में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से धार्मिक आधार पर सताए जाने के कारण आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो चुका है।

विदेश मंत्री मोमेन ने कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से भारत सहिष्णु देश है जो धर्मनिरपेक्षता में भरोसा करता है लेकिन यह छवि कमजोर होगी अगर वे इससे हटेंगे।’ उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के मित्रवत संबंध हैं और इसे द्विपक्षीय संबंधों का ‘सुनहरा अध्याय’ करार दिया जाता है। इसलिए स्वभाविक है कि हमारे लोग (बांग्लादेशी) उम्मीद करते हैं कि भारत ऐसा कुछ नहीं करें जिससे उनमें व्यग्रता पैदा हो।’

मोमेन ने गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के सताए जाने के आरोप को झूठ करार दिया और कहा कि ‘जिन्होंने भी उन्हें यह सूचना दी वह सही नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे देश के कई अहम फैसले विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों द्वारा लिए जाते हैं… हम किसी का भी आकलन उनके धर्म से नहीं करते।’ मोमेन कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व भी उनके दावे की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश धार्मिक सौहार्द को कायम रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी धर्मों के लोगों को बराबर अधिकार मिलें।

अपने बयान में विदेश मंत्री ने अमित शाह के दावों पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुत कम देश ऐसे हैं जहां सांप्रदायिक सौहार्द बांग्लादेश की तरह अच्छा है। अगर अमित शाह कुछ महीने के लिए बांग्लादेश में ठहरते हैं तो वह हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव समझ सकेंगे।’ बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने गुरुवार को यह भी कहा कि उन्होंने ढाका में अमेरिकी राजदूत अर्ल आर मिलर से बात की और उन्होंने भी नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर चिंता जताई।

बाग्लादेशी विदेश मंत्री ने शायद अमित शाह का संसद में दिया वो बयान नहीं पढ़ा जिसमें उन्होंने बांग्लादेश की वर्तमान सरकार को इस मामले में क्लीन चिट दी थी

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