लंदन। लंदन के एक पुल पर आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है और कहा है कि ब्रिटेन में जन्मा हमलावर उसका लड़ाका था।
हमलावर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अपने पुरखों के क्षेत्र में एक मदरसे की आड़ में आतंकी प्रशिक्षण शिविर स्थापित करना चाहता था। उस्मान खान ने शुक्रवार को लंदन की सड़क पर चाकू से हमला कर दिया था जिसमें दो लोगों की मौत हुई और तीन अन्य जख्मी हुए थे।
आईएस ने अपनी समाचार एजेंसी अमाक ने टम टम और टेलीग्राम ऐप पर प्रकाशित एक पोस्ट के जरिए हमले की जिम्मेदारी ली है। दुर्दान्त आतंकी संघटन इस्लामिक स्टेट ने एक बयान में कहा, ‘‘लंदन में हमले को अंजाम देने वाला हमारे संघटन का लड़ाका था और उसने गठबंधन देशों के नागरिकों को निशाना बनाने की अपील की प्रतिक्रिया में यह हमला किया है।’’
28 वर्षीय इस आतंकी को पुलिस अधिकारियों ने गोली मारकर ढेर कर दिया था। उसके साथ स्कूल में पढ़ने वाले एक शख्स ने कहा कि उसने मध्य इंग्लैंड के स्टोक-ऑन-ट्रेंट में स्कूल बीच में ही छोड़ दिया था और इसके बाद उन्होंने उसे एक किशोर के तौर पर IS के झंडे के साथ प्रचार करते देखा था। उसका परिवार पाक अधिकृत कश्मीर से यहां आने के बाद मध्य इंग्लैंड में ही बस गया था।
स्कॉटलैंड यार्ड के आतंकवाद रोधी पुलिसिंग के प्रमुख सहायक आयुक्त नील बसु ने कहा, ‘‘यह अहम है कि हम सबने आतंकवाद की खोखली विचारधारा को खारिज कर दिया है और सभी समुदाय यह सुनिश्चित करने के लिए साथ आए हैं कि जो लोग हमें बांटना चाहते हैं, वे कभी कामयाब नहीं होंगे।’’ उन्होंने कहा कि एहतियाती उपाय के तहत, हमने समूचे लंदन में पुलिस की गश्त बढ़ा दी है। लोगों को सप्ताहांत पर पुलिस कर्मियों की अधिक मौजूदगी देखने को मिल सकती है।
आतंकवाद के अपराध में खान की दोषसिद्धि से पता चलता है कि वह ‘गंभीर जिहादी’था और 2012 में लंदन स्टॉक एक्सचेंज, अमेरिकी दूतावास पर विस्फोट करने और लंदन के तत्कालीन मेयर बोरिस जॉनसन जैसे वीआईपी को निशाना बनाने की योजना के लिए जेल भेजे गए इस्लामी कट्टरपंथियों के नौ सदस्य समूह में सबसे कम उम्र का था।
जब खान को 2012 में दोषी ठहराया गया था तब न्यायमूर्ति एलान विल्की ने कहा था कि खान लंबी योजना पर काम रहा था और वह तबाही मचाने के लिए और आतंकवादियों को भर्ती करेगा और उन्हें प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने कहा कि लंबी सजा के बावजूद ऐसे लोग समाज के लिए खतरा बने रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनसे इतना गंभीर खतरा है और उससे अनिश्चित सजा से ही निपटा सकता है।
बहरहाल, 2013 में कोर्ट ऑफ अपील ने ‘अनिश्चित सजा’ को कम कर दिया, जिससे खान लाइसेंस शर्तों पर आठ साल बाद जेल से रिहा होने का वह हकदार हो गया। यह सजा उसने दिसंबर 2018 में पूरी कर ली। इस हमले के बाद ऐसी मांग उठी है कि न्याय मंत्रालय ब्रिटेन की जेलों में आतंकवाद के मामलों में बंद लोगों के लिये लाइसेंस शर्तों की तत्काल समीक्षा करे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि ऐसे खतरनाक कैदियों की जल्द रिहाई को रद्द करके लंदन के पुल पर हुए हमले को रोका जा सकता था।