विशेष संवाददाता
आप जो फोटो देख रहे हैं, उसकी बड़ी ही ह्रदयविदारक गाथा है। महमूद गजनवी ने भारत पर सत्रह हमले किये और लगभग लाखों हिन्दू महिलाओं को पकड़ कर गजनी उठा ले गया।
अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहर एक बड़ा चौक है। उसी चौक में बने एक चबूतरे पर उन हिन्दु औरतों की नीलामी हुई थी। उसी स्थान पर इस याद को मुसलमानों ने एक स्तम्भ बनाकर आज भी संजोकर रखा है। जिसमे लिखा है-
‘दुख्तरे हिन्दोस्तान, नीलामे दो दीनार’
अर्थात इस जगह हिन्दुस्तानी औरतें दो-दो दीनार में नीलाम हुई।
इस घटना का उल्लेख स्वयं अटल जी ने कभी लोकसभा में भी किया था।
27 सितंबर को इमरान खान का यूएनओ में दिया गया भाषण सुन कर हमे कोई हैरत नहीं हुई, जब इमरान के दिए गए भाषण पर मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों को तालियाँ बजाते सुना। विश्व को परमाणु युद्ध की धमकी पर बजने वाली तालियाँ दर्शाती हैं कि आज भी उन जैसे लोगों के जेहन में गजनी जिन्दा है, तैमूर जिन्दा है, गौरी जिन्दा है, बाबर जिन्दा है।
यही वह कारण है, जिसके चलते भारत के अधिसंख्य मुस्लिम नेता भी मोदी का विरोध करते हैं क्योंकि वे हिन्दुओं को दोयम दर्जे का इंसान समझते हैं, स्वयं को भूतपूर्व शासक मानते हैं। रत्ती भर कोई दूसरा कारण नहीं है।
मोदी भले ही नारा लगाएं – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।
ये लोग उन्हें केवल हिन्दू नेता ही मानते हैं, मानते रहेंगे।
ऐसे में हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इमरान खान के झूठ को ताकत कांग्रेसी नेताओं के बयानों ने ही दी है।