ऋचा बाजपेयी

न्‍यूयॉर्क। आज न्‍यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशंस के हेडक्‍वार्टर पर उंगा यानी यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार अपना संबोधन देंगे। साल 2014 में जब उन्‍होंने पहली बार सत्‍ता संभाली तब पहली बार इस महासभा को संबोधित किया था। माना जा रहा है कि पीएम मोदी आज पाकिस्‍तान का नाम लिए बिना आतंकवाद का जिक्र कर पड़ोसी देश पर हमला बोल सकते हैं। लेकिन जब कभी भी उंगा का जिक्र होगा तो हमेशा पीएम मोदी नहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज का भी जिक्र किया जाएगा। उन्‍होंने साल 2015 से जो जिम्‍मेदारी अपनी विदेश मंत्री को दी थी, उस पर वह हर बार खरी उतरीं।

सुषमा ने किया पीओके का जिक्र

सुषमा ने साल 2015, 2016,2017 और 2018 में इस महासभा को संबोधित किया था। 2015 में सुषमा का पहला संबोधन था और उन्‍होंने यहां पर सीमा पार से जारी आतंकवाद पर पाक को जमकर फटकारा। उंगा से पहले रूस के ऊफा में प्रधानमंत्री मोदी और पाक के तत्‍कालीन पीएम नवाज शरीफ की मीटिंग हुई थी। सुषमा ने ऊफा समिट का जिक्र किया था। उन्‍होंने कहा था, ‘भारत हमेशा से ऊफा समिट की भावना से आगे बढ़ाना चाहता है लेकिन यह तब तक नहीं हो सकता जब तक सीमा पार से जारी आतंकवाद पर लगाम नहीं लगती। भारत वार्ता के लिए तैयार है मगर बातचीत और आतंकवाद साथ- साथ नहीं चल सकते हैं।’ सुषमा ने यहां पर मुंबई आतंकी हमलों और हाफिज सईद का जिक्र किया। साथ ही पहली बार उंगा में पीओके पर भी बयान दिया।

नवाज शरीफ को दिया करारा जवाब

साल 2016 में फिर सुषमा जब उंगा में पहुंची तो देश उरी आतंकी हमले को झेल चुका था तो नौ माह पहले पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे। उंगा के 71वें सेशन में सुषमा ने पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दी। सुषमा स्वराज ने अपने आक्रामक भाषण से उस समय पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी थी। उन्होंने अपने भाषण में कहा- ‘सभापति जी हम गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है।’ सुषमा से पहले नवाज शरीफ ने अपने संबोधन में चार सूत्रीय शांति का फॉर्मूला दिया था। सुषमा ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्‍होंने कहा, ‘मुझे इस मौके का प्रयोग हमारी बात को सही तरह से रखने के लिए करने दीजिए। कल पाकिस्‍तान के पीएम ने शांति के लिए नया चार सूत्रीय फॉर्मूला दिया है। मैं इसका जवाब देना चाहूंगी-हमें सिर्फ एक फॉर्मूला चाहिए-आतंकवाद छोड़ो और बातचीत के लिए बैठो।’

भारत इंजीनियर्स बनाता है, पाकिस्‍तान आतंकी

साल 2017 में सुषमा ने फिर से पाकिस्‍तान को आतंकवाद पर घेरा। पाक के तत्‍कालीन पीएम शाहिद खाकन अब्‍बासी भारत को आतंकवाद के लिए दोषी ठहरा चुके थे। सुषमा ने कहा, ‘यूएन जैसे मंच पर आतंकवाद की निंदा करना रस्म सा बन गया है पर कितने देश इसे गंभीरता से ले रहे हैं? आतंकवाद की निंदा तो सभी देश करते हैं पर कार्रवाई के नाम पर कुछ ठोस नहीं हो रहा है।’ सुषमा ने यहां पर साफ कर दिया कि आतंकवाद को अलगृ-अलग नजरिए से न देखें। मेरे-तेरे आतंकवाद की दृष्टि अलग ना हो और आतंकवाद की एक ही परिभाषा होनी चाहिए। उन्‍होंने पाक पर फिर हमला बोला और कहा, ‘भारत-पाकिस्तान साथ-साथ आजाद हुए थे लेकिन आज भारत की पहचान आईटी सुपर हब के तौर पर है जबकि पाक की पहचान आतंकवाद के सरगना देश के रूप में होती है। पाकिस्‍तान आतंकवाद की फैक्‍ट्री के तौर पर तब्‍दील हो गया है।’

‘आतंक पर पाक के चेहरे पर कोई शिकन नहीं’

साल 2018 में सुषमा का उंगा में आखिरी भाषण था। यहां पर उन्‍होंने साफ और कड़े शब्‍दों में कहा, ‘पाकिस्‍तान न केवल आतंक को पालता है, बल्कि उसे नकारने में भी माहिर है।’ सुषमा ने बातचीत रोकने के पाकिस्तान के आरोप को पूरी तरह से झूठ बताते हुए दुनियाभर के नेताओं से सवाल किया कि ‘हत्यारों को सिर पर बैठाने’ वाले देश के साथ ‘आतंकी खून-खराबे’ के बीच बातचीत कैसे हो सकती है। सुषमा ने कहा था, ‘हमारे मामले में आतंक कहीं दूर से नहीं बल्कि सीमापार से है। हमारा पड़ोसी आतंक फैलाने के साथ ही उसे छुपा भी लेता है। आतंक पर पाकिस्‍तान के चेहरे पर न झेंप और न माथे पर शिकन।’

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