म्यांमार से आए रोहिंग्याओं से जुड़े एक सवाल पर गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा कि जिस किसी शख्स के पास मुनासिब कागजात नहीं है उन्हें वापस भेजने के नियम है। दरअसल, बजट सत्र के दौरान सांसद किरोड़ी लाल मीणा के सवाल पर राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने कहा कि इन्हीं नियमों के तहत साल 2014 और साल 2019 में सभी राज्यों को रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।

इधर, बांग्लादेश में शिविरों में रह रहे म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों ने भी तख्तापलट की निंदा की है। उनका कहना है कि इससे उनके वापस लौटने का रास्ता और मुश्किल हो गया है। 2017 में म्यांमार की सेना ने 7 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाल दिया था। म्यांमार से निकाले गए रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के भीड़-भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश उन्हें बौद्ध-बहुल म्यांमार वापस भेजने के लिए उत्सुक है। हालांकि, कई बार किए गए प्रत्यावर्तन के प्रयास विफल साबित हुए हैं, क्योंकि रोहिंग्या हिंसा के डर से वापस जाना नहीं चाहते।

मंत्रालय ने कहा कि निर्वासन प्रत्यर्पण नियम के तहत अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या को वापस भेजने का आदेश दिया गया है। अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या से जुड़े एक और सवाल में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा कि रोहिंग्या, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान,तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक और केरल में अवैध रूप से रह रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि इनके पास कोई भी वैध कागजात नहीं हैं।

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