श्री काशी विश्वनाथ मंदिर धाम का सुदंरीकरण और विस्तारीकरण के निर्माण में होने वाले काम की गुणवत्ता पर प्रशासन की नजर रहेगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म तैनात करेगा। जो गुणवत्ता की हर दिन जांच करेगी।

इसके लिए चयन प्रक्रियां शुरू हो गई है। काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से पहले से ही कंसल्टेंट कंपनी एचसीपी तैनात हैं। यह गुणवत्ता परखने के लिए पाक्षिक जांच करेगी। काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के निर्माण के लिए भी बीते मंगलवार की रात ई टेंडर जारी किया जा चुका है। नवंबर तक निर्माण कंपनी तय कर दिसंबर में काम की विधिवत शुरुआत करने की तैयारी है। 18 महीने में बाबा का भव्य मंदिर तैयार किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तार और सौंदर्यीकरण के लिए 296 भवनों और भूखंड के लिए अब तक कुल 398.33 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद द्वारा अब तक कुल 267 संपत्तियां खरीदी गई है। इसमें से 247 भवनों को ध्वस्त कर उनका मलबा भी हटा दिया गया है।

इस तरह होगा काम

पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण का काम गंगा तट पर स्थित नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा शामिल है। एक किलोमीटर लंबे इस क्षेत्र से श्रद्धालु स्नान करके आसानी से मंदिर तक दर्शन पूजन करने के लिए जा सकेंगे।

अलग-अलग पत्थरों मंदिर परिसर को भव्यता

डीपीआर के अनुसार मंदिर परिसर में मकराना मार्बल, ग्रेनाइट और चुनार के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इसमें अलग-अलग आवश्यकता के अनुसार अलग पत्थर उपयोग में लिए जाएंगे। इसके अलावा पूरे परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रसाधान, जलपान गृह, लाइब्रेरी, मल्टीपरपज हाल सहित अन्य केंद्र विकसित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम के तीनों प्रवेश द्वार पर जन सुविधा केंद्र स्थापित होंगे।

गंगा घाट से मंदिर के बीच दो एस्केलेटर

गंगा स्नान कर सीधे काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था होगी। गंगा घाट से मंदिर के बीच दो एस्केलेटर होंगे। इनमें श्रद्धालु आसानी से चढ़ाई के बिना ही ऊपर आ जाएंगे। राजकीय निर्माण निगम की जगह लोक निर्माण विभाग को काशी विश्वनाथ धाम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीडब्ल्यूडी की अलग इकाई इसमें काम करेगी। डीपीआर मंजूर होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।

साभार : अमर उजाला

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