डा. रजनीकान्त दत्ता
पूर्व विधायक

सरकारी और सामाजिक संस्थाओं के निरंतर सार्थक प्रयास करने के बाद भी देश में बलात्कार की घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है। इसका सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि ये बलात्कारी मासूम बच्चियों को तो क्या वृद्ध महिलाओं को भी नहीं छोड़ते।

ऐसी जघन्य मनोवृत्ति एवं दुस्साहस समाप्त करने के लिए मैं आप सबके समक्ष एक ऐसा समीकरण प्रस्तुत करने जा रहा हूं जो स्वयं में इतना सशक्त है कि इसके प्रचार और प्रसार के साथ 60 मिनट के अंदर देश में कोईक भी बलात्कारी लाख बार सोचेगा कि फल स्वरुप इस रेप की घटना के बाद उसको एक दिन का भी जीवन जीना दूभर हो जाएगा और वह रोज तिल-तिल मरने के बजाय या तो वह स्वयं आत्महत्या कर लेगा या जिस समाज में वह रहता है उसे और अपने परिवार को छोड़कर, उसे गुमनामी का जीवन व्यतीत करना पड़ेगा।

जिस स्त्री के साथ चाहे वह मासूम हो, जवान हो या वृद्धा हो यदि उसके साथ बलात्कार या गैंग रेप होता है। पुलिस या सामाजिक कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी होती है तो f.i.r.(फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करने के पहले उसके गुप्तांग से प्रशिक्षित डीएनए की जांच करने के लिए प्रशिक्षित सरकारी डॉक्टर को बुलाकर, गुप्तांग से प्राप्त सैंपल की पीड़िता के कपड़ों पर वीर्य(स्पर्मेटिक फ्लोएड) के धब्बों की या उसके शरीर पर खरोच के निशान की या उसके नाखूनों में बलात्कारी को नोचने के कारण कोई मांस का टुकड़ा या रक्त है या ऐसा ही कोई सबूत है।तो उसे सुरक्षित कंटेनर में रखकर मान्यता प्राप्त सरकारी लेबोरेटरी से उसकी डीएनए जांच करानी होगी।

इसके बाद जो लोग संदिग्ध है या जिन्हें पीड़िता ने बलात्कारी के रूप में पहचाना है या नाम बताया है। उनका भी डीएनए टेस्ट होना चाहिए। कानून आईपीसी सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट के तहत इस बलात्कारी घटना के संबंध में कानूनी कार्यवाही तो जारी रखी जाएगी। लेकिन जैसे ही उसे सरकारी तौर पर सूचना मिलती है कि बलात्कार के आमुख अभियुक्त का डीएनए पीड़िता के लिए गए सैंपल से मिलता है। तो कोर्ट रूम से ही पुलिस संरक्षण में उन्हें तत्काल सरकारी चिकित्सालय भेजा जाएगा जहां पूर्व प्रशिक्षित सर्जन (शल चिकित्सक) उसके दोनों अंडकोष उसके शरीर से अलग कर देंगे और उसका तीन बटे चार लिंग भी काट देंगे। सर्जरी के दौरान बेहोशी की हालत में एक रुपए के सिक्के के बराबर की डाई से दोनों भौं के ऊपर उसका माथा दाग दिया जाएगा। कि जिंदगी भर उसके इस निशान को कोई मिटा ना सके। तो प्रणाम स्पष्ट है क्योंकि हम जानते हैं कि कोई सजा आदमी को हिजड़ा बना दे और कोई भी सार्वजनिक रूप से यह जान सके कि यह बलात्कारी है। तो आप खुद ही सोच सकते हैं की कितने लोगों में ऐसा दुस्साहस होगा कि वह इस घोर न्यायिक दंड की प्रक्रिया लागू होने के बाद रेप करने की हिम्मत करेंगे।

रही मानवाधिकार की बात की शरीर के किसी अंग में गैंग्रीन होने पर या कैंसर होने पर उसे काटकर हमेशा के लिए देह से अलग कर दिया जाता है। इन मानवाधिकार की बात करने वालों से पूछिए कि वे भारत वर्ष में नारी का वही सम्मान चाहते हैं। जिसे हमने मां के रूप में दिया है या उसके रूप में दिया है।जिस रूप में हम भारत माता को देखते हैं ?

प्रयोग के रूप में भारत सरकार 6 महीने के लिए अध्यादेश लगाकर पूरे देश में इस कानून को लागू करें और यदि 99.9% बलात्कार की घटनाएं इस अध्यादेश के बाद रुक जाती है। तो इसे आईपीसी की धारा बना कर अभियुक्त को तत्काल दंडित करने का कानूनी प्रावधान लागू करें।

इतिहास साक्षी है कि हम सनातन धर्मियों ने नारी को हमेशा पवित्र देवी स्वरूपा और आराध्य माना है।नारी तुम अबला नहीं, सबला हो।

भारत माता की जय।

माँ तुझे सलाम।

सूचनार्थ:

मुख्य न्यायाधीश भारत सरकार, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी, महिला अध्यक्षा,अखिल भारतीय महिला आयोग और लोकसभा और राज्यसभा के सभी माननीय सदस्यों को।

डा. रजनीकान्त दत्ता
पूर्व विधायक
Advertisements

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here