महाराष्ट्र विधानसभा के 24 अक्टूबर को नतीजे आए, लेकिन भाजपा-शिवसेना के बीच बात बिगड़ती चली गई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर 12 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 12 दिन का यह राष्ट्रपति शासन शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक चले 12 घंटे से भी कम वक्त के घटनाक्रम में खत्म हो गया। दैनिक भास्कर को मिली अब तक की जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात राकांपा प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक खत्म होने के बाद पवार के भतीजे अजित सक्रिय हुए और उन्होंने आधी रात काे भाजपा से एकतरफा गठबंधन कर लिया।
पृष्ठभूमि : मोदी ने राकांपा सांसदों की तारीफ की, पवार मोदी से मिले
बीते सोमवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करने के दौरान राकांपा सांसदों की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था- राकांपा के सांसदों ने नियमों का पालन किया और कभी सदन के वेल में नहीं आए। यह अनुशासन दूसरों को भी सीखना चाहिए।
इसके दो दिन बाद बीते बुधवार को शरद पवार ने मोदी से दिल्ली में मुलाकात की। कहा गया कि यह मुलाकात किसानों के मुद्दे पर थी, लेकिन इससे इन कयासों को बल मिला कि शिवसेना को सत्ता की दौड़ से बाहर रखने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राकांपा प्रमुख से बातचीत कर रहा है।
शुक्रवार शाम से बदले घटनाक्रम
1) शुक्रवार शाम 7:30 बजे
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने शुक्रवार शाम पहली बार संयुक्त बैठक की। बैठक के बाद राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उद्धव के नेतृत्व पर सभी सहमत हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उद्धव ही सीएम हाेंगे ताे चिल्लाकर बोले- ‘आपको हिंदी समझ नहीं आती क्या? सरकार का नेतृत्व उद्धव ही करेंगे।’
2) रात 8:30 बजे
देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से संपर्क किया और सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की।इसके बाद उन्होंने अजित पवार से संपर्क किया। शिवसेना नेताओं के साथ मौजूद अजित पवार अचानक बैठक छोड़कर चले गए। माना जा रहा है कि राकांपा विधायक दल के नेताअजित पवार ने पार्टीविधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र भाजपा नेताओं को सौंप दिए।ये वही पत्र थे, जो शिवसेनाके साथ सरकार बनाने के मकसद से राकांपा विधायकों से लिए गए थे।इसके बाद अजित पवार ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया।
3) रात 12 बजे
भाजपा और अजित पवार धड़े के नेताराजभवन पहुंचे। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व मेंसरकार बनाने का दावा पेश किया। फडणवीस चाहते थे कि शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा को इसकी भनक भी नलगे, इससे पहले उन्हें शपथ दिला दी जाए। इसके बादराज्यपाल ने सूचित किया किशपथ ग्रहण सुबह के वक्त होगा।
4) रात 1 बजे
राज्यपाल ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा का ई-मेल राष्ट्रपति के पास भेज दिया। राष्ट्रपति भवनने इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा ताकि कैबिनेट इस पर फैसला कर सके।इस प्रक्रिया के बारे में संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया, “जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करते हैं, तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य होती है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। मंजूरी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेते हैं।”
महाराष्ट्र के मामले में इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया। इस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने शनिवार तड़के राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश जारी कर दिया।
5) सस्पेंस: शपथ ग्रहण कब हुआ? सुबह 5:15, सुबह 7:30 या सुबह 8
शपथ ग्रहण के समय को लेकर अलग-अलग जानकारी सामने आ रही है। एक जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ने सुबह 5:15 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया और उसी वक्त राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सुबह 8 बजे के आसपास यह खबर जारी की। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने शपथ ग्रहण का समय सुबह 7:30 बजे बताया है। बताया जा रहा है कि राजभवन से न्यूज एजेंसियों को कहा गया था कि वे शपथ ग्रहण की खबर सुबह 8 बजे के बाद ही जारी करें।
साभार : भाष्कर