शरीयत के हिसाब से बाबरी मस्ज़िद है मुसलमानों के लिए पाक जगह, अपने स्थान पर कयामत तक रहेगी

अयोध्या मसले पर फ़ैसले को लेकर आवाम से मदनी ने की शांति की अपील

अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक

नई दिल्ली। जमीयत-उलमाए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अयोध्या फैसले पर कोर्ट को एहतेराम करने की बात कहते हुये जनता से शांति की अपील की है। उन्होंने कहा कि देश में फैसले के बाद शांति बनाए रखने को लेकर उनकी लगातार संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी बात हो रही है। 

मौलाना मदनी ने  यह भी कहा कि बाबरी विवाद को लेकर जमीयत-उलमाए-हिन्द पहला पक्षकार है। अगर जमीयत चाहता तो सड़क पर उतर कर हंगामा भी कर सकता था। मगर जमीयत शांति में विश्वास रखता है उसने कानून का दामन थामा। ऐसे में इंसाफ के सबसे बड़े मंदिर से वो इंसाफ की उम्मीद रखते है। सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे हर मुसलमान स्वीकार करेगा मगर साथ ही मौलाना अरशद ने यह भी साफ कर दिया कि मस्ज़िद के स्थान पर मुसलमान कोई भी समझौता नही करनी वाला। 

मौलाना अरशद मदनी ने उस सवाल का जवाब देते हुए दिया कि क्या जमीयत मस्ज़िद को अलग ज़मीन देने पर राजी है। इस पर मौलाना मदनी का जवाब था कि मस्ज़िद की ज़मीन के साथ कोई समझौता नही। यह मुसलमानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। कयामत तक बाबरी मस्जिद वहीं रहेगी। 

बाबरी मस्जिद कानून और न्याय की दृष्टि में भी  400 साल से एक मस्ज़िद है। इसलिए शरीयत के लिहाज़ से भी वो आज एक मस्जिद है और कयामत तक रहेगी। 

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह फैसला हमारे पक्ष में आएगा, बाबरी मस्जिद का केस केवल भूमि का नहीं है बल्कि यह मुकदमा देश के दस्तूर और कानून का है। हालांकि एक बार फिर मौलाना मदनी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सत्ता और ताकत के दम पर  उसे भले ही कोई भी स्वरूप दे मगर किसी पार्टी या व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विकल्प की उम्मीद में जमीयत के मस्जिद के दावे से पीछे हटने की उम्मीद करे। 

साक्ष्य और सबूत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा मुसलमान उसे स्वीकार करेंगे। 

लेकिन मौलाना ने भले ही देश से शांति की अपील की इसे मौलाना की धमकी कहें या फैसले को लेकर अपनी रणनीति का आगाज़ उन्होंने यह साफ कर दिया है कि मुसलमान बाबरी मस्जिद के ज़मीन को लेकर किसी भी तरह के समझौते को तैयार नहीं। 

अयोध्या मुद्दे के साथ-साथ कश्मीर, माब लिंचिंग  और एनआरसी के मुद्दे पर भी मौलाना मदानी ने देश के हालात पर चिंता जाहिर की।

बाबरी मस्जिद मुद्दे पर बात करते हुए मौलाना सैयद अरशद ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर या किसी मंदिर की जगह पर नही किया गया था और हमे पूर्ण विश्वास है कि कोर्ट का फैसला आस्था की बुनियाद पर न होकर कानूनी दायरे में होगा और कोर्ट के फैसले को जमीयत उलेमा ए हिंद ससम्मान स्वीकार करेगा।

लेकिन किसी ने इन मौलानाओ से नहीं पूछा कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट मे मंदिर के ऊपर मस्जिद तामीर की गयी है, आप कैसे कह सकते है कि मंदिर पर मस्जिद नहीं बनी ?

Advertisement

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here