शैतान रोते हुए गिड़गिड़ा रहा था, रहम की भीख माँग रहा था
आत्मघाती बेल्ट से खुद को उड़ाने पर मजबूर हुआ
पदम पति शर्मा
प्रधान संपादक
दिवाली के दिन समूची शान्ति प्रिय दुनिया को उस समय जबरदस्त खुशखबरी मिली जब अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से यह अधिकृत तौर पर घोषणा की गयी कि आतंक का आका आएस का सरगना क्रूर निर्मम अबू बकर बगदादी सीरिया के उत्तर- पश्चिम मे अमरिकी डेल्टा फोर्स के भीषण हमले मे मारा गया।
चौतरफा घिरने के बाद उसने कोई चारा बचा न देख कर खुद को उड़ा लिया। सुरंग में छिपा यह शैतान गिड़गिड़ा रहा था। लेकिन निरीह लोगों की अमानुषिक हत्या करने वाला यह राक्षस मौत को काफी नजदीक देख कर जिस कदर भयभीत हो गया था वह दिखाता है कि यह जानवर अंदर से कितना कायर था।
पांच महीनो से सीआईए उसकी टोह में लगी थी। अंत में अमेरिका की सबसे खतरनाक टुकड़ी डेल्टा फोर्स ने बकर बगदादी का मजबूत सुरक्षा कवच तोड़ते हुए न सिर्फ उसका बल्कि उसके कई दुर्दान्त आतंकियो का भी सफाया करने मे कामयाबी हासिल की।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पूरी तरह संतुष्ट होने के पश्चात बगदादी के अंत की घोषणा करते हुए बताया कि इस सैन्य काररवाई में अमेरिका का कोई सैनिक घायल तक नहीं हुआ।
सन 2014 मे खुद को खलीफा घोषित कर चुका इस्लामिक स्टेट का सर्वेसर्वा बगदादी यज्दी, शिया, उदारवादी मुस्लिमों और हिन्दुओ की हत्या के लिए निर्मम से निर्मम तरीके इजाद किया करता था। आईटी विशेषज्ञ इस गलीज शख्स के अनुयायी उसके जघन्य सामूहिक नरसंहार के वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया करते थे। ताकि उसके कारनामो की दहशत ज्यादा से ज्यादा फैले।
भारत मे तो आतंक के इस पर्याय को जहन्नुम रसीद किये जाने पर विशेष खुशी मनायी गयी। इस कमीने ने रोजी रोटी की तलाश मे इराक गये 40 भारतीयों को मोसुल मे अगवा करवाया था। इनमे एक युवक तो किसी तरह से जान बचाने में कामयाब रहा था। लेकिन शेष 39 भारतीयों की बगदादी के शैतानो ने इतनी बेरहमी से हत्या के बाद कब्र मे उनकी क्षत विक्षत लाश को सामूहिक दफनाया था कि उनके अवशेष कपड़ों से पहचाने जा सके थे।
बगदादी मर गया मगर उस गलीज इन्सान की सोच को सभी को मिल कर मारना होगा तभी दुनिया मे शान्ति कायम की जा सकेगी। हम यह न भूलें कि इस सोच का सबसे बड़ा पैरोकार पाकिस्तान है और लगता है कि अब उसकी बारी है। सुन लो इमरान, सुन लो पाकिस्तान ।