आजाद होने के बाद 70 साल से अधिक समय बीत जाने पर भी जबकि हिन्दी विश्व की तीसरे स्थान पर बोली सुनी और लिखी जाने वाली भाषा है फिर भी उसके अपने देश में सर्वोच्च न्यायालय में उसका एक अक्षर भी प्रवेश न कर पाना अत्यंत दुखद है। हमारे देश की अपनी सेना है, अपना ध्वज है, अपना राष्ट्रगान है, अपनी जनसंख्या है, अपना संविधान है, अपनी संसद है। लेकिन शर्म की बात है कि हमारी अपनी कही जाने वाली राष्ट्रभाषा नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबल राष्ट्र माना जाने वाला भारत बेजुबान है। यह अत्यंत कष्टकारी है। अपने देश में विदेशी मेहमानों का स्वागत हम गुलामी की भाषा में करें यह अत्यंत लज्जास्पद है। जम्मू कश्मीर के मामले में अपने संकल्प शक्ति से राष्ट्रीय एकता में बाधक अस्थायी प्रावधान धारा 370 को हमने एक पल में उतार फेंका। हिन्दी के बारे में भी संविधान में जो व्यवस्था की गई थी वह भी सीमित अवधि के लिए अस्थायी थी। 10 साल का वह अस्थायी समय या काल हिन्दी के लिए काल बन गया है। आजादी में भी गुलामी भाषा की भाषा राज कर रही है। और कुछ गिने चुने लोग उस पर नाज कर रहे हैं। और हमारी हिन्दी जो देश की सुहागिन भाषा है वह परित्यक्ता की तरह सिसक रही है। उसकी उपेक्षा से जन जन दुखी हैं। जनता ने मोदी को बहुमत दिया है। और वह चाहती है जैसे 370 हटा जैसे नोटबन्दी हुई वैसे राज काज से अंग्रेजी बंदी करके हिन्दी को उसका स्थान दिलाया जाए। अंग्रेजी बेसक पढ़ाई,लिखाई व ज्ञान की भाषा रहे लेकिन उसकी गुलामी असहय है जनता चाहती है उसको सरकार उखाड़ फेंके तभी हिन्दी दिवस मनाने की पात्रता हमारे अंदर होगी। अन्यथा हमें हिन्दी का नाम लेने का भी कोई हक नहीं है। अगर हम अपने भाषा के लिए संघर्ष नहीं कर सकते तो हिन्दी को अपना कहने का हमें कोई हक नहीं। उपरोक्त विचार वरिष्ठ हिन्दी कवि,साहित्यकार एवं गणेश विद्या मंदिर के प्रबंधक डॉ राम अवतार पांडेय ने विद्यालय भवन में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में व्यक्त की।

वरिष्ठ लेखिका और साहित्यकार भगवंती सिंह ने मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए अपील किया कि अपने निजी जीवन में हम स्वयं हिन्दी का प्रयोग करें। हिन्दी अपने बल पर सात समंदर पार पहुंच चुकी है और बढ़ती ही जाएगी।

इस अवसर पर विद्यालय की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ राम अवतार पांडेय, संचालन जागृति उपाध्याय व धन्यवाद प्रकाश प्रधानाचार्य शीला राय ने किया।

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