11 को भारत आएंगे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तमिलनाडु के महाबलीपुरम में मोदी-जिनपिंग की होगी अनौपचारिक मुलाकात, कश्मीर पर भी होगी खास बात
अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक
कश्मीर पर आखिर चीन ने एक बार फिर पलटी मराते हुए अपने दोमुहापन असली चेहरा दिखा ही दिया। मंगलवार तक कश्मीर को द्विपक्षीय मामला बताते हुए जहां कश्मीर मसले पर चीन खुद को दरकिनार करता नजर आ रहा था वहीं बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इमरान खान के साथ संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि कश्मीर पर हर वक़्त उनकी पैनी नज़र बनी हुई है और एक बार फिर चीन ने यूएन का ज़िक्र करते हुए कहा है कि यूएन रेजोल्यूशन को ध्यान में रखते हुए बातचीत के जरिये लंबे अरसे से विवादों में फंसे इस ऐतिहासिक विवादास्पद मुद्दे को सुलझाया जाना चाहिए।
हालांकि चीन के इस बयान को बेतुका बताते हुए भारत ने यह साफ कर दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसके मुद्दे भारत का आंतरिक मामला, ऐसे में किसी भी दूसरे देश को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह बयान ऐसे समय मे आया है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन दौरे पर थे और दो दिन बाद शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग औपचारिक मुलाकात और बात चीत के लिए भारत आ रहे हैं।
11 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग दो दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं। राष्ट्रपति जिंपिंग का यह भारत दौरा प्रधानमंत्री मोदी के साथ अनौपचारिक मुलाकात के लिहाज से है। यह बैठक तमिलनाडु की मंदिर नगरी महाबलीपुरम में होनी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यह दूसरी अनौपचारिक बैठक है। शी जिंपिंग 11 और 12 अक्टूबर को भारत में ही रहेंगे। इससे पहले दोनों नेताओं की अप्रैल 2018 में चीन के वुहान में इस तरह की अनौपचारिक मुलाकात हुई थी जो कूटनीतिक स्तर पर अपने आप में पहला प्रयोग था। साल 2017 में हुए डोकलाम तनाव के बाद मोदी और शी की ये अनौपचारिक मुलाकात कूटनीति के लिहाज से काफ़ी सफल भी रही था। वुहान बैठक से पहले डोकलाम में सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के सैनिक 73 दिन तक एक-दूसरे के सामने डटे रहे थे जिसकी वजह से दोनों देशों के रिश्तोंमें काफी तल्खी आ गयी थी और कुछ समय के लिए दोनों देशों में बातचीत तक बंद हो गयी थी।
बता दें कि महाबलीपुरम में होने वाली दूसरी अनौपचारिक बैठक को लेकर सभी तक कोई एजेंडा तय नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान दोनों नेता वैश्विक आर्थिक स्थिति, आतंकवाद, सीमा पर शांति कायम करना, रीजनल और अन्तराष्ट्रीय चुनौतियां कश्मीर और पाकिस्तान सहित जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। हालांकि दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान कोई समझौता या एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं होंगे, लेकिन मोदी-जिनपिंग की ओर से साझा बयान जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है। जिनपिंग के साथ चीन के विदेश मंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी भारत आएंगे।
इस इनफॉर्मल मीट में मोदी और जिनपिंग की वन टू वन मीटिंग के अलावा दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की भी बैठक होगी। बैठक के दौरान दोनों देश अगली विशेष प्रतिनिधिस्तर मीट की तारीख तय कर सकते हैं। बता दें कि भारत और चीन के सैनिक भारतीय सैनिकों के साथ संयुक्त रूप से दिसंबर में आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास भी करने वाले है दोनों नेता सैन्य रिश्तों में मज़बूती को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं। लेकिन इस अनौपचारिक बात चीत का सबसे अहम मुद्दा कश्मीर और पाकिस्तान पर चीन का रुख ही होगा।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ये भारत यात्रा “भारत- चीन के कूटनीतिक संबंधों के लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है। इस यात्रा के ठीक पहले मंगलवार तक भारत को लेकर चीन का रुख भी सकारात्मक दिख रहा था। मगर बुधवार को एकदम से यू टर्न मारते हुए चीन एक बार फिर कश्मीर पर अपने पुराना राग अलापता दिखा। साथ ही चीन ने पाकिस्तान के साथ जॉइंट स्टेमेन्ट जारी करते हुए CPEC इकनॉमिक कॉरिडोर के दूसरे चरण के लिए हरी झंडी भी दिखा दी है। अब ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर कैसे मोदी कश्मीर मुद्दे पर अलग थलग पड़े पाकिस्तान के साथ चीन के दोस्ताना रिश्ते को तोड़ पाएंगे और जिंपिंग को भारत के समर्थन में खड़ा होने के लिए मना पाएंगे। सवाल यह भी है कि भारत की पाकिस्तान नीति में अहम भूमिका निभाने वाले चीन पर भी क्या मोदी मैजिक चलेगा ? वैसे 2018 के वुहान में हुई अनौपचारिक मुलाकात की अगर बात करें तो दोक्लम स्टैंड ऑफ के बाद हुई इस बैठक के नतीजे सकारात्मक थे , मगर चीन ने भारत की तरफ खुल कर दोस्ती के हाथ कभी नहीं बढ़ाया है यह भी हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
गौरतलब है कि कूटनीतिक लिहाज़ से भारत ने इस अनौपचारिक मुलाकात के लिए काफी रणनीतिक तैयारी कर रखी है। मम्मलपुरम सदियों पुराना एक ऐतिहासिक कोस्टल टाउन है, जो पर्यटन के लिहाज से वर्ल्ड हेरिटेज माना जाता है। इस शहर के चयन से गहरा संबंध है। तकरीबन दो हजार साल पहले पल्लव काल में मम्मलपुरम एक बंदरगाह था और इस दृष्टि से पौराणिक चीन के साथ भारत के गहरे व्यापार संबंध थे। बौद्धगुरु बोधिधर्मा भी बौद्धधर्म के प्रचार प्रसार के लिए इसी रास्ते से चीन गए थे। चीन के बौद्धगुरु हुएन सांग भी ईसापूर्व 7वी सताब्दी में मम्मलपुराम बंदरगाह के रास्ते ही कांचीपुरम आये थे। अगर आज की बात करें तो 2020 तक भारत- चीन के बीच दौत्य संबंध के 70 साल हो जाएंगे । अगर भारत चीन के ट्रेड रिलेशन की बात करें तो यह द्विपक्षीय संबंध अब तक के सबसे ऊंचे 95.54 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है।
महाबलीपुरम में इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग महाबलीपुरम के तीन प्रसिद्ध स्मारकों का दौरा करेंगे। शी के स्वागत के लिए पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया है। जानकारों का कहना है कि महाबलीपुरम का चीन से करीब 2000 साल पुराना संबंध है। इस वजह से इस बैठक को ऐतिहासिक बल मिलने की उम्मीद है।