दो घंटे तक अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर पर पंडा पार्थिव शरीर
विशेष संवाददाता
पटना। महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पटना में निधन हो गया। वह 40 साल से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थे। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताया.। वह 74 साल के थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताया है।
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पटना के कुल्हरिया काम्पलेक्स में अपने परिवार के साथ रहते थे। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार थे और तबीयत खराब होने के बाद परिजन उन्हें पीएमसीएच लेकर गए। लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
वशिष्ठ जी का पार्थिव शरीर स्ट्रेचर पर दो घंटे तक पङा रहा था। उनके परिजनों को एम्बुलेंस तक मुहैया कराने की औपचारिकता अस्पताल प्रशासन ने नहीं निभाई। शर्मनाक है ये! जिस आदमी की उपलब्धियों पर बिहार समेत देश गर्व करता है, अंत में भ उसके साथ भी ऐसा व्यवहार..हुआ…..
वशिष्ठ जी के भाई का दर्द ……
“जिस व्यक्ति की उपलब्धियों पर बिहार की छह पीढ़ियां गर्व करती रहीं और जिसे जीते जी हम संभाल नहीं पाए, मरने के बाद भी अस्पताल प्रशासन की ऐसी संवेदनहीनता! कोई बड़ा नेता तक नहीं आया बीमारी के समय उन्हें अस्पताल में देखने….”
उनके निधन की खबर से पूरा बिहार गमगीन है।. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि आर्पित की। महान गणितज्ञ के निधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस निधन से दुखी हैं। वह बेहद सम्मानित सज्जन थे।
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति पहुंची है.
आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी।उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही था।
पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह अक्सर अपने गणित के टीचर को फार्मूले दिया करते थे।. इस बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल को पता चला तो वशिष्ठ नारायण सिंह की अलग से परीक्षा ली गई जिसमें उनकी गणितज्ञता के बारे में पता चला ।
पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पर पड़ी और उन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना। 1965 में वह अमेरिका चले गए।
1969 में कैलिफोर्निया से PHD
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। वशिष्ठ नारायण ने नासा में भी काम किया, लेकिन वह 1971 में भारत लौट आए।
भारत लौटने के बाद वशिष्ठ नारायण ने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की। 1973 में उनकी शादी हो गई. शादी के कुछ समय बाद वह मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गए. इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद उनकी पत्नी ने उनसे तलाक ले लिया.