नई दिल्ली । सीबीआई में नंबर दो रहे राकेश अस्थाना के खिलाफ चल रही घूसखोरी की जांच में नया खुलासा हुआ है। घूस देने के आरोपी और हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना के पॉलिग्राफ टेस्ट में घूस देने की पुष्टि हुई है। इसी साल मार्च में 12 और 13 तारीख को सतीश बाबू सना का पॉलिग्राफी टेस्ट हुआ था। साना ने ही पिछले साल इसकी शिकायत की थी, जिसके आधार पर राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। सना ने तब दावा किया था कि मीट कारोबारी मोईन कुरैशी को बचाने के लिए एक बिजनेसमैन के जरिए साल 2016 में राकेश अस्थाना को घूस दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को आठ दिसंबर तक राकेश अस्थाना केस की जांच करने का आदेश दिया है। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने मामले में अधिकांश हिस्से की जांच पूरी कर ली है और अमेरिका और यूएई को भेजे गए पत्र रोजरी (एलआर) के जवाब का इंतजार कर रही है।

एजेंसी ने साना के अलावा केस में कथित बिचौलिया मनोज प्रसाद के ससुर सुनील मित्तल और भाई सोमेश्वर श्रीवास्तव का भी क्रमश: 8 और 13 मार्च को पॉलिग्राफ टेस्ट कराया है। इस केस से जुड़े एक और अहम गवाह पुनीत खरबंदा का एजेंसी ने दो बार 7 मार्च और 5 अप्रैल को पॉलिग्राफ टेस्ट करवाया है।

अप्रैल के तीसरे सप्ताह में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की फोरेंसिक स्टेटमेंट एनालिसिस रिपोर्ट और फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है कि सना और खरबंदा ने सीबीआई अधिकारी से मनमाफिक जांच रिपोर्ट लिखवाने के उद्देश्य से पैसे दिए हैं। मामले में मित्तल और श्रीवास्तव के पॉलिग्राफ टेस्ट पर कोई निष्कर्षपरक राय नहीं बन सकी क्योंकि उनके बयान अपर्याप्त थे और जांच के बारे में उनके पास इससे जुड़ी सूचना नहीं थी।

इस साल जनवरी में CBI ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक आवेदन दिया था, जिसमें आरोपी और शिकायतकर्ता पर पॉलिग्राफ टेस्ट आयोजित करने के लिए सहमति मांगी गई थी। मामले में घूस देने के आरोपियों ने पॉलिग्राफ टेस्ट की सहमति व्यक्त की जबकि मनोज प्रसाद, (जिसने रिश्वत के पैसे को स्वीकार करने का आरोप लगाया) ने पॉलिग्राफ टेस्ट से इनकार कर दिया था।

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