Dr Rohini Singh
Clinical psychologist, (Guidance and counselling)
Access practitioner and Energy healer.
विगत वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लोग इसपर खुलकर चर्चा करने लगे है। सुखी होना, खुश होना अब उतना भी ‘ दुखद ‘ नहीं। जीवन की चुनौतियों को,उलझे हुए प्रश्नों को जो जितनी खूबी और खूबसूरती से सुलझा लेता है वही मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। कितने ही लोग ऐसे है जो जीवन की छोटी – छोटी चुनौतियों से डरते हैं, विचलित हो जाते हैं। पाने और खोने की होड़ में लगे रहते हैं, चेहरे पर तनाव, निराशा, झुंझलाहट, कुछ रह गया तो उसको लिए कुंठा, ओह! यह तो मेरी कमी है, लक्ष्य तो रह गया ऐसी तमाम नकारात्मक भावना से अपना जीवन खोखला करते हैं। वह जीवन जिसकी परिकल्पना में ‘ मैं पर्याप्त हूं ‘ ( I am enough ) का भाव होना चाहिए उसमे अपनी पहचान हम पद और लक्ष्य से करने लगते हैं। जीवन एक बोझ और औपचारिकता मात्र बनकर रह जाता है, जबकि ज़रूरत है कि हम थोड़ा समय अपने को दें, अपने लिए सोचें, अपने व्यवहार का मूल्यांकन करें जो पक्ष हमें या हमारे अपनों को परेशान करता हो उस व्यवहार को दूर करने की कोशिश करें। बिना बात का गुस्सा, गुमसुम रहना, खाने – सोने की सुध ना होना, नींद पूरी ना होना अपने आप में कोई आकर्षण महसूस ना होना यह सब मानसिक रूप से स्वस्थ ना होने के शुरुआती लक्षण हैं। इनपर तुरंत ध्यान दीजिए और इसके लिए जो भी बेहतर हो सके करिए। सलाहकार या विशेषज्ञ की राय लीजिए।