सीओपी 27 को सीओपी ऑफ एक्शन होना चाहिए: श्री यादव

• जलवायु परिवर्तन से लड़ने के स्थायी तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा

• प्रधानमंत्री मोदी के मिशन लाइफ पर होगी चर्चा

प्रविष्टि तिथि: 05 NOV 2022 10:51PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव  6 से 18 नवंबर, 2022 तक आयोजित होने वाले यूएनएफसीसीसी (सीओपी 27) दलों के सम्मेलन के 27वें सत्र में शामिल होने के लिए आज मिस्र के शर्म अल-शेख पहुंचे। श्री भूपेंद्र यादव इस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री यादव ने कहा, “दुनिया जलवायु परिवर्तन से लड़ने के स्थायी तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्रित हुई है। सीओपी27 को ‘सीओपी ऑफ एक्शन’ होना चाहिए, जिसमें जलवायु वित्त को परिभाषित करने, अनुकूलन और हानि एवं क्षति परिणामों जैसे प्रमुख मामलों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

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यूएनएफसीसीसी के सीओपी 27 में भाग लेने के लिए शर्म अल-शेख में उपस्थित श्री भूपेंद्र यादव

बैठक में, भारत, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पर्यावरण के लिए दिए गए जीवन शैली के मंत्र, लाइफ पर चर्चा करेगा। मिशन लाइफ वैश्विक समुदाय को स्मरण कराएगा कि सीओपी 27 को भूले हुए एसडीजी-12 पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो स्थायी खपत और उत्पादन व्यवस्था को सुनिश्चित करने का समर्थन करता है।

मिशन लाइफ के बारे में

लाईफ की अवधारणा को प्रधानमंत्री द्वारा 1 नवंबर 2021 को ग्लासगो में सीओपी26 में प्रस्तुत किया गया था। भारत ने 5 जून 2022 को  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप्स को आमंत्रित करते हुए लाईफ ग्लोबल मूवमेंट का शुभारंभ करते हुए लाईफ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया ताकि पर्यावरण संकट को दूर करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए दुनिया भर में विशिष्ट और वैज्ञानिक तरीकों के बारे में विचार-विर्मश किया जा सके। इस आंदोलन को वैश्विक नेताओं का रिकॉर्ड समर्थन मिला है।

मिशन लाइफ- मिशन-मोड, वैज्ञानिक और ध्यान देने योग्य कार्यक्रम के माध्यम से लाइफ के विचारों और आदर्शों को कार्यान्वित करेगा और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करने के संदर्भ में भारत की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करेगा।

मिशन लाइफ़ को 2022 से 2027 की समयावधि में कम से कम एक अरब भारतीयों और अन्य वैश्विक नागरिकों के द्वारा पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। भारत के भीतर, कम से कम 80% तक सभी गांवों और शहरी स्थानीय निकायों को 2028 तक पर्यावरण अनुकूल बनाने का लक्ष्य है।