जीवनदीप विश्वकर्मा

How Sensex and Nifty Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.
Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं. ये दोनों इंडेक्सेज स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं.

Sensex क्या है और इसे कैसे मापते हैं

सेंसेक्स (सेंसिटिव इंडेक्स का संक्षिप्त रूप) बीएसई का स्टॉक मार्केट इंडेक्स इंडिकेटर है और इसे बीएसई सेंसेक्स के तौर पर कहा जाता है. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों के 30 कंपनियों के स्टॉक को दर्शाता है. इन स्टॉक्स में गिरावट के चलते सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.

इस तरह होता है सेंसेक्स का कैलकुलेशन

  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या और शेयर भाव का गुणा करने पर उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन की जानकारी मिलती है.
  • अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह फीसदी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 फीसदी शेयरों में 40 फीसदी शेयर सरकार व प्रमोटर के पास हैं तो शेष 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध रहेंगे. इस प्रकार इस कंपनी के लिए फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
  • बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा कर उस कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को मिलाकर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.

निफ्टी क्या है और इसे कैसे मापते हैं

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज फिफ्टी या निफ्टी एनएसई का मार्केट इंडिकेटर है. इसमें 14 विभिन्न सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई के समान ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.

इस तरह होती है Nifty की गणना

  • निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
  • निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों की बाजार पूंजी निकाली जाती है जो आउटस्टैंडिंग शेयर को वर्तमान भाव से गुणा कर प्राप्त किया जाता है.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (आईडब्ल्यूएफ) से गुणा किया जाता है. आईडब्ल्यूएफ पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
  • इसके बाद फ्री मार्केट कैप को इंडिविजुअल किए हुए स्टॉक को एसाइन किए हुए वेट से गुणा किया जाता है.
  • निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.

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