आपकी बात
पदम पति शर्मा

दो राय नही कि अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन की पूर्व संध्या से शुरू दिल्ली और अलीगढ मे हिंसा एक सोची समझी साजिश थी। बस इस बार दूसरे हथियार का इस्तेमाल किया गया है। बताने की जरूरत नहीं कि बदनाम आईएसआई अमेरिकी राष्ट्रपतियों के भारत दौरे के समय आतंकी हमलों को अंजाम देती रहीं है। ब्लैक लिस्ट में बचने के लिए पाकिस्तान ने इस बार सीधे आतंकी कार्रवाई न करके कश्मीर वाला पैंतरा अख्तियार किया। जिस तरह दिल्ली मे छतों पर जमा किए गए पत्थर और शीशे इस्तेमाल किए गए उसने घाटी की पत्थरबाजी की बरबस याद दिला दी।

शनिवार की रात अचानक महिलाओं के जत्थों का मेट्रो स्टेशन के सामने जमा होकर उत्तेजना फैलाना क्या सोचा समझा षडयंत्र नहीं था ?

हाँ हर समझदार इसको लेकर आशंकित था मगर देश की इंटेलीजेंस एजेन्सियों को परवाह नहीं थी। सारा फोकस ट्रम्प की अभूतपूर्व सुरक्षा पर रखा गया। इसके चलते साजिशकर्ताओ की पौ बारह हो गयी। खुल कर हिँसा का तांडव हुआ। इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को लेनी होगी।कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के आने का इन्तजार था | उनके जाने के बाद एक्शन होगा। वो कौन सी बडी कार्रवाई करने की बात थी। कोई बताएगा ?

इस गफलत मे एक बहादुर हेड कांस्टेबल सहित दस लोग मारे जा चुके हैं । 56 पुलिस कर्मी और 130 साधारण नागरिक घायल होकर अस्पताल में भर्ती हैं । हालाकि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता दावा कर रहे हैं कि स्थिति नियंत्रण में है। उनका मानना है कि कुछ इलाकों में तंग गलियों की वजह से परेशानी हो रही है। यह भी कहा गया कि छतों से हुए पथराव पर भी पुलिस की नजर है। लेकिन क्या जवाब है उसके पास कि शुरू में ही उनको कडाई से क्यों नहीं रोका गया ? क्या जिनकी मौत हुई है उनके परिवार के हाल का पता है? जो भडकाऊ भाषणों से उकसा रहे थे उन पर सख्ती क्यों नहीं की गयी ? पीएम और गृह मंत्री को खुले आम मौत की धमकी दी जा रही थी। आरएसएस को देश का कैंसर करार देते हुए उसके खिलाफ एक वर्ग को सार्वजनिक मंच से जेहाद के लिए उकसाया जा रहा था। क्यों नहीं उनके पेंच कसे गए ? गृह मंत्री ने आज सर्वदलीय बैठक बुलायी। क्यों नहीं सभी दल के नेता तनाव वाले इलाकों में संयुक्त रूप से गए। झोली भर कर उन इलाकों से वोट लेने वाली आम आदमी पार्टी सरकार और उसके मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बजाय वहाँ जाने के राजघाट पर धरने पर बैठ गये। यह पलायन वाद ढोंग है।

अमित शाह और केजरीवाल दोनो साथ मिल कर तनाव कम करने की कोशिश करें। समय कम है। रात दस बजे ट्रम्प देश से रवाना हो जाएगे। उसके बाद यदि स्थिति विस्फोटक हुई ती जवाबदेही के लिए दोनो सरकारें तैयार रहें ।

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