नई दिल्ली। शिवसेना (Saamana) के मुखपत्र सामना ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। संपादकीय में साल 2019 की राजनीतिक घटनाओं पर टिप्पणी की गई है। हालांकि संपादकीय में कहा गया है कि पीएम मोदी का राष्ट्रीय स्तर पर कोई विकल्प नहीं है।
संपादीकय में लिखा है, ‘बीतते वर्ष में जो हुआ, वह महत्वपूर्ण है। लोकसभा में जीतनेवाले मोदी-शाह विधानसभा के अखाड़े में परास्त हो गए। खास ये है कि महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य उन्होंने गवां दिया। टोपी घुमानेवाले और दिए हुए वचनों को तोड़नेवाले खुद टूट गए, ऐसा बीतते वर्ष में ही हुआ।
संपादकीय में कहा गया है देश में राजनैतिक स्थिरता है परंतु जबरदस्त अस्वस्थता है। अशांति मानो समाज में उबाल मार रही है। पूरे देश में आग लगी है परंतु सब कुछ ठीक-ठाक है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का मत है। बहुमत होने के बाद भी जब देश अशांत होता है तब शासकों को आत्मचिंतन करना चाहिए।
संपादकीय में लिखा गया है, जाते वर्ष ने क्या बोया और नए वर्ष को क्या देगा, यह चर्चा करना फिलहाल थमनी चाहिए। शासक झूठ बोलते हैं। जनता को सीधे फंसाते हैं व अपनी कुर्सी टिकाए रखने के लिए किसी भी स्तर तक जाते हैं।’
‘जाते वर्ष में लोकसभा चुनाव हुए। इसमें मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी विजयी हुई लेकिन इसी साल हुए तीन विधानसभा चुनावों में हरियाणा को छोड़ दें तो भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड जैसे दो राज्य गवां दिए।. विधानसभा चुनाव में लोगों ने क्षेत्रीय पार्टियों को मतदान किया व राष्ट्रीय दल दूसरे स्थान पर पहुंच गए. फिर भी कांग्रेस जैसी पार्टी को इन तीनों ही राज्यों में सफलता मिली।’
संपादकीय में लिखा है राष्ट्रीय स्तर पर आज मोदी के नेतृत्व का विकल्प नहीं है। 2019 में राहुल गांधी को विकल्प के रूप में जनता ने नहीं स्वीकारा इसलिए मोदी को एक बार फिर जबरदस्त वोट दिए। विरोधियों में एकजुटता नहीं है व सर्वमान्य नेता भी नहीं है। इसका परिणाम ऐसा हुआ कि कांग्रेस लोकसभा में 60 सीटें भी हासिल नहीं कर सकी।
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