केसर सिर्फ कश्मीर मे होती है और इस महंगी खुशबूदार को उगाने मे काफी नज़ाकत और नफासत की जरूरत पडती है। इसके लिए जलवायु भी कश्मीर जैसी चाहिए। । लेकिन बुंदेलखंड (bundelkhand )से जो खबर मिल रही है, वो चौंकाने वाली है। क्या प्रकृति कुछ और इशारे ये कर रही है कि केसर ( saffron) अब सिर्फ कश्मीर की बपौती नहीं रह गयी है।

सूखा इलाका समझे जाने वाले बुंदेलखंड मे उपजी है केसर और बम्पर फसल हुई है दो बीघे में।

इस केसर का दाम 35 लाख तक बताया जा रहा है। हालांकि अभी इस ज़ाफ़रान का परीक्षण होना बाकी है कि यह गुणवत्ता के लिहाज से कैसी है ।

फिर भी बुंदेलखंड के एक किसान परिवार ने केसर की खेती कर बुंदेलखंड के किसानों के लिए नई आस तो जगा ही दी है। ऐसा चमत्कार देखकर किसान और खेती के जानकार हैरान हैं। क्योंकि केसर की खेती कश्मीर ( kashmir) में होती है। लेकिन केसर की खेती बुंदेलखंड की मिट्टी में भी हो सकती ये सोचकर जनपद के किसान बेहद उत्साहित हैं और उन्हें ऐसा लगने लगा है कि शायद उनको भगवान ने संजीवनी प्रदान की है। वाकई अगर ये संजीवनी है तो फिर यहां के किसान एक-दो सीजन में लखपति बने दिखेंगे।

किसान रवि कुमार और रामबली सिंह का कहना है कि केसर को ऑर्गैनिक ( organic) तरीके से उगाया गया है। इसमें गोबर की खाद डाली गई है। केसर की बिक्री से पहले दिल्ली की स्टैंडर्ड एनालिटिकल लैबोरेटरी ( sal)में इसकी गुणवत्ता की जांच होनी बाकी है। जांच के बाद ही यह पता चलेगा कि यह किस क्वालिटी ( quality)की है।

किसान के इस सफल प्रयास पर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन का कहना है कि किसान ने केसर की खेती करके सबको चकित कर दिया है। इस परिवार ने बुंदेलखंड के किसानी की आन बान शान को बढ़ाया है, हमें ऐसे किसान पर गर्व है। हम सरकार से मांग करते है कि अगर बुंदेलखंड में किसानों की हालत को सुधारना है, ऐसे लोगों को बीज और बाजार उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे बुंदेलखंड का किसान वो करके दिखाएगा जो दुनिया देखेगी।

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