मौसम के साथ उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे भी गरम हो गए हैं। चर्चाएं आम है कि अब आजम खान भी अखिलेश यादव का साथ छोड़ेंगे। आजम खान ढाई साल से सीतापुर जेल में बंद हैं। बताया जा रहा है कि, आजम खान के इस बुरे वक्त में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जरा सा भी मददगार साबित नहीं हुए हैं। जिसका आजम सहित उनके समर्थक बुरा मान रहे हैं। इस बीच आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने एक बयान जारी कर अखिलेश यादव पर आरोप लगाया है। फसाहत अली खां ने कहा है कि अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि आजम खान जेल से बाहर आएं। शानू ने ये आरोप सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान को सही ठहराते हुए लगाए हैं।

आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू एक मीटिंग को संबोधित कर रहे थे। इस बीच उन्होंने कहा कि यह मान लिया जाए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सही कहते हैं कि अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि आजम खान जेल से बाहर आएं। फसाहत अली ने कहा कि आजम खान के जेल में बंद होने के कारण सियासी रूप से हम यतीम हो गए हैं। हम कहां, किसके पास जाएं, किससे कहेंगे और किसकों अपना गम बताएंगे। हमारे नेता आजम खान ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी लेकिन सपा ने आजम खान के लिए कुछ नहीं किया। फसाहत अली खां ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है। उन्होंने मुस्लिम समाज का जिक्र करते हुए कहा कि क्या सारा ठेका अब्दुल (मुस्लिम वोटरों) ने ले लिया है। वोट भी अब अब्दुल देगा और जेल भी अब्दुल जाएगा।

आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां द्वारा बयान दिए जाने के बाद अब इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या आजम खान समाजवादी पार्टी छोड़ देंगे। संभावना जताई जा रही है कि आजम खान अपनी ही पार्टी बना सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, आजम खान इस बात से नाराज हैं कि सिवाय एक बार के अखिलेश उनसे सीतापुर जेल में मिलने नहीं गए, जहां वह फरवरी 2020 से बंद हैं।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपी-एल) के प्रमुख शिवपाल यादव की अखिलेश के साथ अनबन और सत्तारूढ़ भाजपा में उनके संभावित बदलाव ने आजम खान के भी सपा छोड़ने की खबरों को मजबूत किया है। आजम खान ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा और सीतापुर जेल में सलाखों के पीछे से 10वीं बार रामपुर सीट जीती है। फसाहत ने कहा कि आजम खान के इशारे पर न सिर्फ रामपुर में बल्कि कई जिलों में भी मुसलमानों ने सपा को वोट दिया, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुसलमानों का पक्ष नहीं लिया। आजम खान दो साल से ज्यादा समय से जेल में हैं, लेकिन सपा अध्यक्ष केवल एक बार जेल में उनसे मिलने गए। इतना ही नहीं, पार्टी में मुसलमानों को महत्व नहीं दिया जा रहा है।